एनटीपीसी सिंगरौली में ‘सुन लो स्वर पाषाण शिला के’ का हुआ अद्भुत नाट्य मंचन

शक्तिनगर(सोनभद्र)। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार एनटीपीसी सिंगरौली एवं इफको के सहयोग से ख्यातिलब्ध रंग संस्था समूहन कला संस्थान द्वारा एनटीपीसी सिंगरौली में तीन दिवसीय नाट्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है। नाट्य समारोह के दूसरे दिन नाटक ‘सुन लो स्वर पाषाण शिला के’ का अद्भुत मंचन हुआ। नाटक ‘‘सुन लो स्वर पाषाण शिला के’’ राम कथा का ऐसा प्रसंग है जो भगवान राम के जीवन के आरम्भ में आता है परन्तु भगवान राम के जीवन का महत्वपूर्ण प्रसंग है। यह अहिल्या प्रसंग पर आधारित रामकथा का नारी स्वर है,जो उनको पुरूषोत्तम रूप में सामाजिक मर्यादा प्रदान करता है। इस प्रसंग में नारी की सामाजिक दशा का विस्तृत वर्णन और राम के अप्रतिम पुरूषार्थ से उसके उद्धार का उल्लेख मिलता है।

अहिल्या उद्धार प्रसंग में राजनैतिक सत्ता की उच्श्रृंखलता का भी वर्णन मिलता है। इन्द्र की कुटिलता से उपजी यह घटना परवर्ती अनेक सैद्धांतिक दृष्टांतों को समाज के सम्मुख रखती है। गौतम ऋषि का पत्नी त्याग के उपरान्त तपस्या हेतु उन्मुख होना पुरूषवादी सोच का परिमार्जन है। अहिल्या द्वारा पति की इच्छा के सम्मुख नत हो जाना नारी आदर्श की पराकाष्ठा को भी प्रस्तुत करती है। राम द्वारा अहिल्या उद्धार का यह प्रसंग तब चरमोत्कर्ष पर होता है जब राम अहिल्या उद्धार के उपरान्त ‘‘जैसे माता कौशल्या है वैसे ही माता अहिल्या है’’ कहकर अहिल्या को समाज में स्थापित करते हैं।

संगीत प्रधान शैली की इस नाट्य प्रस्तुति में राग भैरवी, शिवरंजनी, काफी आदि विभिन्न रागो पर कई आकर्षक गीतों का प्रयोग बहुत ही शानदार रहा, जिसकी संगीत रचना बनारस घराने की जानी मानी गायिका विदुषी सुचरिता गुप्ता ने तैयार किया है। पाषाणी अहिल्या और वृक्ष की भूमिका के दृश्य में निर्देशक की प्रयोगधर्मिता और संवेदनशीलता दर्शकों को अचंभित करती है। इस भूमिका को मंच पर अभिनीत भी स्वयं निर्देशक राजकुमार शाह ने किया, पाषाणी अहिल्या की भूमिका में रिम्पी वर्मा अपने सशक्त अभिनय से लोगों को भावनाओं में बह जाने को मजबूर कर देती है। नवीन चन्द्रा विश्वामित्र की भूमिका में राम और लक्ष्मण सुनील कुमार, अजय कुमार, गौतमी अहिल्या गंगा प्रजापति और ऋषि गौतम के रूप में राजन कुमार झा के अभिनय ने प्रभावित किया।

Advertisement

रितिका सिंह कोरस के रूप में प्रस्तुति को गति देने में सफल रही, कुमार अभिषेक, वैभव बिन्दुसार और रिम्पी वर्मा का गायन लाजवाब रहा। इन्द्र और चन्द्र की भूमिका में राहुल मौर्या और हिमेश कुमार सराहनीय रहे। प्रस्तुति का नाट्यालेख संतोष कुमार, गीत लाल बहादुर चैरसिया का, ध्वनि अभिकल्पना प्रवीण पाण्डेय और प्रकाश संयोजन तथ संचालन मो हफ़ीज द्वारा नाटक को एक ठोस धरातल प्रदान करती है। ध्वनि प्रभाव अजय कुमार और राजन कु0 झा, वेशभूषा एवं रूपसज्जा रिम्पी वर्मा, रितिका सिंह, पूजा केसरी, रश्मि पाण्डेय, कला पक्ष रतन लाल जायसवाल और नृत्य संयोजन सुनंदा भट्टाचार्या का सफल रहा। राजकुमार शाह का निर्देशन नई सोच से युक्त अनिर्वचनीय है। यह नाट्य समारोह एनटीपीसी, सिंगरौली के लिए एक सुखद अनुभूति रही। समारोह के तीसरे और अंतिम दिन कल नाटक दाखिला डाट काम का मंचन होगा।

इस अवसर पर राजीव अकोटकर, परियोजना प्रमुख, एनटीपीसी सिंगरौली, श्रीमती पीयूषा अकोटकर, अध्यक्षा वनिता समाज, सतीश कुमार गुजरानिया, महाप्रबंधक (प्रचालन एवं अनुरक्षण), अशोक कुमार सिंह, महाप्रबंधक (ऑपरेशन), श्रीमती रंजू सिंह, वरिष्ठ सदस्या, वनिता समाज, सिद्धार्थ मण्डल, अपर महाप्रबंधक (मानव संसाधन), पत्रकार बंधु, यूनियन एवं एसोशिएशन के पदाधिकारीगण, वरिष्ठ अधिकारीगण आदि सम्मिलित हुए। कार्यक्रम का संयोजन डॉ ओम प्रकाश, वरिष्ठ प्रबंधक(राजभाषा) द्वारा किया गया।

Keep Up to Date with the Most Important News

By pressing the Subscribe button, you confirm that you have read and are agreeing to our Privacy Policy and Terms of Use
Advertisement