प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने हेतु पेड़ है जरुरी : प्रिंस मिश्रा
बीएचयू के छात्रों ने बनारस को ग्रीन बेल्ट बनाने का बीड़ा उठाया
बीएचयू (वाराणसी )। वाराणसी जिले में हरियाली बनाए रखने हेतु महामना के बगिया काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों ने पेड़ लगाने का एक अनोखा अभियान शुरू किया है। जिसकी शुरुआत चिकित्सा विज्ञान संस्थान निदेशक डॉ एसएन संखवार की उपस्थिति में सर सुंदरलाल अस्पताल में वृक्षारोपण से किया गया। इस दौरान उपस्थित छात्रों को प्रिंस मिश्रा ने शपथ दिलाई की हम अपने आसपास हरियाली बनाए रखने हेतु खाली जमीनों पर पौधारोपण करेंगे और व्यापक पैमाने पर वाराणसी जिले में विभिन्न चरणों में वृक्षारोपण अभियान को गति देकर काशी को हरियाली युक्त बनाने का प्रयास करेंगे। साथ ही विश्वविद्यालय परिसर में विभिन्न जगहों पर दर्जनों पौधे लगाए गए, जो निकट भविष्य में प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने के लिए उपयोगी साबित होंगे। इस अवसर पर प्रमुख रूप से बीएचयू छात्र प्रिंस मिश्रा, अनिल मिश्रा, प्रवीण शुक्ला, सर सुंदरलाल अस्पताल मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ० केके गुप्ता , डॉ० सुयश त्रिपाठी, शिबू मिश्रा, शैलेष तिवारी, इष्टदेव पाण्डेय, रिषू उपाध्याय, राहुल पाण्डेय, अनूराग तिवारी, सत्यवीर सिंह, अजय पाण्डेय, प्रिंस पाण्डेय के साथ दर्जनों छात्र उपस्थित रहे।
चिकित्सा विज्ञान संस्थान निदेशक डॉ एसएन संखवार ने इस अवसर पर कहा कि पेड़ पौधे इस धरा के अनमोल आभूषण हैं। उनसे ही मनुष्य का जीवन आगे बढ़ता है। इनके अभाव में जीवन संभव नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि पेड़ पौधे अवश्य लगाएं। साथ ही उनकी रक्षा करें। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में विभिन्न मुद्दों पर मुखर रहने वाले छात्र प्रिंस मिश्रा ने कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए हर नागरिक को एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए ताकि पृथ्वी पर प्राकृतिक संतुलन बना रहे। अगर समय रहते प्राकृतिक संतुलन को नहीं बनाया गया तो आने वाले दिनों में पृथ्वी पर निवास करने वालों को जल एवं वायु संकट से जूझना पड़ेगा। अत: प्राकृतिक संतुलन व मानव अस्तित्व को बचाने के लिए हर व्यक्ति को प्रकृति की रक्षा करने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए। सत्यवीर सिंह ने कहा कि पर्यावरण को प्रदूषण से रोकना है तो पेड़ पौधे लगाना अति आवश्यक है। जहां एक ओर पेड़ पौधे हमें फल और छाया देते हैं, वहीं पेड़ पौधों से हमें विभिन्न प्रकार की औषधियां मिलती हैं। चाहे कोई भी दवा हो, कहीं न कहीं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वनस्पतियों से जुड़ी हुई होती है।