क्रेसर संचालकों की मनमानी की मार झेल रहा किसानउड़ती धूल से फसलों को नुकसान, विस्फोट से दहलते मकानों में आ रहीं दरारें

क्रेसर संचालकों की मनमानी की मार झेल रहा किसान
उड़ती धूल से फसलों को नुकसान, विस्फोट से दहलते मकानों में आ रहीं दरारें
टीकमगढ़। साहब रगदा के मारे मरे जा रये। फसलें बर्बाद हो गई। लरका बिटिया बैरे होन लगे। बम से फूटत रोज, कोऊ सुनवे बाये नईयां। जीसें कओ सो बेई नई सुनत। कीनों जाएं किते मर जाएं। खेतन पै देखों सो रगदा की चादर सी तनी धरी। जिले के किसान शासन द्वारा निर्धारित नियमों को दरकिरान करके संचालित हाने बाले स्टोन क्रेसर से होने वाले प्रदूषण और धूल आदि से परेशान है। जिले में संचालित इन स्टोन क्रेसरों के नजदीक निवासरत किसानो द्वारा बढ़ते प्रदूषण और धांधली पर अंकुश लगाए जाने की मांग कई बार की जा चुकी है। जिला कलेक्टर सहित खनिज विभाग के आला अधिकारी इन स्टोन के्रसरों द्वारा बढ़ते प्रदूषण के विषय पर चुप्पी साधे हुए हैं। गौरतलब है कि जिले में संचालित 106 स्टोन क्रेसरों को प्रशासन ने खुली छूट दे रखी है। किसी भी स्टोन क्रेसर संचालक द्वारा शासन द्वारा निर्धारित किए गए नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। जिला मुख्यालय के नजदीकी ग्राम नचनवारा, अस्तौन समेत आधा दर्जन गांवों में पत्रकारों के दल ने क्रेसरों के संचालन का अध्ययन किया तो प्रशासन की लापरवाही स्पष्टï रुप से दिखाई दी, प्रशासन को यह क्यों नहीं दिखाई दे रहा यह बात समझ से परे है। इन ग्रामों में संचालित स्टोन क्रेसरों का कहर किसानों पर बरप रहा है। यहां निवासरत परिवारों के बच्चों पर ब्लास्टिंग का असर पड़ रहा है। कई गरीबों के मकानों की दीवारे दरकने लगी हैं। गरीब किसानों की निकलती सिसकारियों के बाद भी खनिज अधिकारी बेपरवाह बनें हुए हैं। बर्बाद होती फसलें और दरकते मकानों के बाद भी खनिज माफियाओं पर हाथ डालने से अधिकारी कतराते आ रहे हैं। हजारों-लाखों रूपए की राजस्व हानि के बाद भी खनिज अधिकारी क्रेसर संचालकों को पनाह देते आ रहे हैं। सुविधा शुल्क के प्रभाव में प्रशासन खनिज माफियाओं के आगे घुटने टेकता नजर आने लगा है। ग्राम नचनवारा में संचालित क्रेसरों के मालिकों की मनमानी और अधिकारियों की चुप्पी ने ग्रामीणों की चिंता बढ़ा दी है।

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लीज से अधिक जमीन पर किया कब्जा
फसलों पर तनी धूल की चादर देखकर यह स्पष्ट हो जाएगा कि यहां के किसानों की जिदगी से किस कदर खिलवाड़ किया जा रहा है। क्रेसर पर होने वाली ब्लास्टिंग के कारण अनेक गरीबों के मकान तबाह हो चुके है। यहां संचालित न्यू स्टोन क्रेसर, आसुतोष स्टोन क्रेसर एवं एबीएस स्टोन क्रेसर के मालिकों ने लीज से अधिक जमीन पर कब्जा कर रखा है। बताया गया है कि प्रशासन की मौन स्वीकृति के कारण क्रेसर मालिकों ने निर्धारित मापदण्ड से अधिक खुदाई कर डाली है और किसानों के मकान और खेतों को बर्बाद कर रखा है। क्रेसर से उडऩे वाली डस्ट ने अनेक युवाओं का जीवन बर्बादी के कगार पर ला दिया है।

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शासन द्वारा निर्धारित नियम और निर्देश ताक पर
जिले के अधिकांश क्रेशर संचालकों द्वारा शासन द्वारा निर्धारित किए गए नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। नियमानुसार डस्ट को बाहर जाने से रोकने के लिए क्रेशर संचालकों को खनन क्षेत्र के तीन ओर बड़ी दीवार बनाने के निर्देश है। पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से सघन पौधरोपण क्षेत्र में किया जाना अनिवार्य है। नियम के तहत स्टोन क्रेशर में सिंचाई के लिये खनन क्षेत्र के चारो ओर फब्बारे लगाना ओर उन्हे चलाना अनिवार्य है, जिससे डस्ट न उड़े, लेकिन जिले भर में संचालित क्रेशरों में अधिकांश नियमों की अनदेखी की जा रही है।

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इनका कहना है-
आपके द्वारा इस विषय में मुझे अवगत कराया गया है कि आपके जिले में स्टोन क्रेसर संचालकों द्वारा नियमों का पालन ना करते हुए प्रदूषण की रोकथाम के लिए कोई उपाय नहीं किए जा रहे है। आपकी जानकारी के आधार पर में स्वयं जाकर आपके जिले में संचालित स्टोन के्रसरों की जांच पड़ताल करुंगा और यदि जानकारी सही पाई गई तो गैर जिम्मेदार स्टोन के्रसर संचालकों के विरुद्घ कार्यवाही की जाएगी।
सतीष कुमार चौकसे, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सागर

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