गुरुकुल कालेज मे 15 साल से अपनी सेवाएं दे रहे रामस्वरूप रैकवार के चरण स्पर्श कर अध्यक्ष अब्दुल गफ्फार मलिक ने शुभ विदाई दी।
टीकमगढ़/ गुरुकुल कालेज के प्रबंधक ने जानकारी मे बताया कि रामस्वरूप रैकवार जिन को हम दादा के नाम से बुलाते थे दादा आय थे काम की तलास में मजदूरी कर अपना भरण पोषण करने के लिए जब शायद गुरुकुल कालेज और झिरकी बगिया मंदिर था,पास में बहुत कम घर थे लेकिन दादा ने अपनी महेनत ओर ईमानदारी से दिल जीत लिया था जिस कारण 15 साल दादा ने ही पूरे कालेज की जिम्मेदारी अपने घर की तरह ईमानदारी से निभाई,आज दादा के चरण स्पर्श कर अध्यक्ष अब्दुल गफ्फार मलिक एवं मेरे कॉलेज स्टाफ ने भावविभोर के साथ शुभ विदाई दी गोरतलब है कि 2010 मे कॉलेज के भवन निर्माण के लिए कारीगर और मजदूर की आवश्यकता थी जो रामस्वरूप रैकवार मजदूर चौराहे पर मजदूरी के लिए खड़े हुए थे जो गुरुकुल बी एड कॉलेज में आकर उन्होंने अपनी मजदूरी के साथ-साथ जिम्मेदारी वफादारी ईमानदारी और समझदारी का परिचय दिया और पूरे कॉलेज का काम बिल्डिंग का काम कंप्लीट कर कर घर जाने का कहने लगे लेकिन उनका काम हमको बहुत पसंद उनके तौर तरीके उनकी जिम्मेदारी हमको बहुत पसंद आई तो मैं उनसे कहा कि दादा अगर आपका मन हो आपने इतनी मेहनत की है इस कॉलेज में मैं चाहता हूं कि आप इस कॉलेज में ही बने रहे जो उन्होंने स्वीकार किया 2010 से लेकर आज दिनांक 2024 तक उन्होंने अपनी सेवाएं पूर्ण जिम्मेदारी के साथ निभाई काफी समय से वह बीमार चल रहे थे उनकी पत्नी भी बीमार है इसलिए उन्होंने हमको बार-बार सूचित किया कि अध्यक्ष भैया अब हमको अपने गांव सैदपुर जाने की परमिशन दे दे तब हमने अपने पूरे स्टाफ के साथ मीटिंग की और उनका मान सम्मान कर उनके चरण स्पर्श करके उनको विदाई दी और दादा को अध्यक्ष जी यह बोला की दादा आप घर जा रहे हो अच्छा बात है लेकिन आपके घर जाता नहीं रुकना है आप दो-चार दिन घर रहना बाकी समय कॉलेज में ही देना मैं चाहता हूं कि आप यही रहे जो दादा ने अपनी जगह पर अपने एक रिश्तेदार को कॉलेज के चौकीदारी जिम्मेदारी के नाते अपनी जगह पर उनको रखा जो हमने स्वीकार किया ।