- हटा से पुष्पेन्द्र रैकवार कि रिपोर्ट
आचार्य श्री का मिला मंगल आशीर्वाद अपरिचित इस शहर से, यहां तो बड़ी संख्या में है भक्तजन-आर्यिका मृदुमति जी पुस्तक का हुआ विमोचन हटा दमोह
- आचार्य श्री के मुख से हटा का नाम कई बार सुना, लेकिन यहां आना और यही पर चातुर्मास करना पहली बार हुआ है, आचार्य श्री समय सागर जी महाराज से निर्देश प्राप्त हुआ
- कि हटा में चातुर्मास करना है, रूझान समझ में न आने के कारण टालने का प्रयास किया लेकिन आचार्य श्री द्वारा केवल हटा का ही नाम लिया गया और आज कलश स्थापना हो गई,
- चार माह तक निरंतर धर्म गंगा बहेगी, इसमें पवित्र होने का दायित्व आपका बनता है, अब आपको चातुर्मास का पूरा धर्म लाभ लेना है
- यह बात आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से दीक्षित आर्यिका रत्न श्री मृदुमति माता जी ने पावन वर्षायोग 2024 के चातुर्मास कलश स्थापना के अवसर पर श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर में कही ।
- आर्यिका श्री ने कहा कि हटा नगर मेरे लिए एक अपरिचित स्थान था, सोच रही थी वहां के लोग कैसे है, लेकिन यहां जब आये तो यहां सारे बड़े बाबा व आचार्य श्री के भक्तों से परिचित हो गई । हटा नगर की जैन समाज को इस वर्ष आर्यिका श्री मृदुमति एवं आर्यिका श्री निर्णयमति माता जी के चातुर्मास का सौभाग्य मिला है,
- चातुर्मास कलश स्थापना के मंगल अवसर पर नगर के चारों जैन मंदिरों में प्रातःकाल अभिषेक, शांतिधारा, पूजन का आयोजन किया गया, बड़ा जैन मंदिर में आर्यिका मृदुमति द्वारा रचित शांति विधान हुआ।
- दोपहर में ध्वजारोहण के साथ ही कार्यक्रम प्रारंभ हुए, आचार्य श्री के चित्र का अनावरण माता के गृहस्थ जीवन के परिजनों द्वारा किया गया, दीप प्रज्जवलन पुष्पा दीदी एवं निशा दीदी के द्वारा किया गया, मंगलाचरण में दीप्ति जैन ने विद्या सगार गंगा मन निर्मल करती है प्रस्तुत किया, तो नन्ही बालिका शानवी ने नृत्य प्रस्तुत किया, शालिनी जैन, निधि सेठ, सारिका जैन, राखी जैन द्वारा भी मंगलाचरण नृत्य प्रस्तुत किया गया, सकल जैन समाज एवं चातुर्मास कमेटी के द्वारा आर्यिका श्री के समक्ष चातुर्मास का निवेदन एवं कलश स्थापना का आशीर्वाद लिया,
- समस्त पदाधिकारी एवं सकल समाज ने अपने दायित्व का निर्वाहन पूरी निष्ठा, समर्पण के साथ निभाने का संकल्प लिया।
- आचार्य श्री का पूजन में स्थापना समाज के वरिष्ठजनो ने की, सारे अर्घ रहली, महराजपुर, मडियादो, रजपुरा, सादपुर, हिनौता, गैसाबाद, पटेरा, बनगांव, दमोह से आये भक्तजनों के साथ बालिका मंडल, जैन मिलन, महिला मंडल, सकल समाज, समिति के पदाधिकारियों सहित भक्तजनों के द्वारा अर्पित किये गये।
- प्रथम चातुर्मास कलश स्थापना का सौभाग्य सेठ दीपक, विपिन, प्रदीप जैन परिवार को मिला, इसके उपरांत एचके जैन, कोमल चक्रेश जैन सादपुर, भानू सादपुर, राजेश जैन लेखनी देखनी परिवार दमोह, हेमकुमार जैन, लखमी चंद जैन बेलखेडी, निर्मल जैन बम्होरी, सुरेन्द्र जैन रहली द्वारा स्थापित किये गये, आर्यिका संघ के 38 वां चातुर्मास पर 38 कलश एवं 101 भक्ति कलश भक्तों के द्वारा स्थापित किये गये ।
- संघस्थ ब्रम्हचारिणी पुष्पा दीदी के द्वारा कलश स्थापना के महत्व को बताते हुए कहा कि अहिंसा धर्म का पालन करने के लिए चातुर्मास किया जाता है बरसात के दिनों में असंख्या में जीवों की उत्पत्ति होती है उन्हें बचाने के लिए यह चातुर्मास होता है इसमें साधु एक जगह ठहर कर अपनी धर्म प्रभावना को फैलाते हैं
- इसी मांगलिक अवसर पर आर्यिका मृदुमति द्वारा लिखित करीब 50 पुस्तकों का एक साथ विमोचन किया गया। अतिथियों के लिए वात्सल भोज का आयोजन किया गया, वर्षायोग की विभिन्न समितियों के द्वारा सराहनीय सहयोग किया गया,
- उपकाशी हटा में हुई पावन वर्षायोग की कलश स्थापना
युग श्रेष्ठ संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य विद्या शिरोमणि आचार्य श्री समय सागर जी महाराज के मंगल आशीर्वाद से बुंदेलखंड की काशी हटा नगरी में परम पूज्य आर्यिकारत्न श्री मृदुमति माताजी एवं आर्यिकारत्न निर्णयमति माताजी संसघ की मंगल चातुर्मास कलश स्थापना
श्री श्री 1008 पारसनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर आयोजित किया गया! आज सुबह की बेला में शांतिनाथ विधान हुआ परम पूज्य माता जी के आहार का सौभाग्य सेठ दीपक जैन के परिवार को प्राप्त हुआ के उपरांत दोपहर में कलश स्थापना में कार्यक्रम सर्वप्रथम चित्र अनावरण परम पूज्य श्री मृदुमती माताजी के गृहस्थ अवस्था के परिवारके द्वारा के उपरांत दीपप्रज्जलन ब्रह्मचारिणी दीदी जी ने किया एवं मंगलाचरण सामूहिक नृत्य प्रस्तुति दी गई के उपरांत मंगल कलश की बोलियां प्रारंभ हुई
प्रथम मंगल कलश का सौभाग्य सेठ दीपक जैन ,सेठ विपिन, सेठ प्रदीप जैन के परिवार को प्राप्त होगा के उपरांत माताजी के प्रवचन हुए कलश स्थापना चातुर्मास के विषय में माताजी द्वारा धर्म देशना दी गईकार्यक्रम का आभार संस्कृतिक कार्यक्रम प्रभारी पंडित प्रवीण जैन (सोनू) ने व्यक्त किया इस अवसर की जानकारी मीडिया प्रभारी संदीप जैन द्वारा बताया गया जैन श्रमण परम्परा में चातुर्मास का अत्यन्त महत्व है।
यह आध्यात्मिक जागृति का महापर्व है, जिसमें स्व परहित साधन का अच्छा अवसर प्राप्त होता है। यही कारण है कि वर्षवास को मुनिचर्या का अनिवार्य अंग और महत्वपूर्ण योग माना गया है। इसलिये इसे वर्षायोग अथवा चातुर्मास भी कहा जाता है।