शमसुलहक़ ख़ान की रिपोर्ट
धर्म की रक्षा व अधर्म के नाश के लिए अवतरित होते हैं भगवान!
बस्ती ऐंठीडीह में चल रही नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा
अधर्म,अन्याय व अनीति से पीड़ित जगत के उद्धार के लिए भगवान श्री हरि पृथ्वी पर अवतार लेते हैं।अन्यायी व अत्याचारी का विनाश करके वह पुनः धर्म की स्थापना करते हैं। श्रद्धा भाव से स्मरण करने वाले शरणागत की रक्षा प्रभु अवश्य करते हैं। यह विचार ऐंठीडीह गांव में चल रही नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के आठवें दिवस,बुधवार को कथा व्यास आचार्य बब्बन मणि त्रिपाठी ने श्रोताओं के समक्ष व्यक्त किए।
यजमान रामकिशोर तिवारी द्वारा श्रीमद्भागवत पुराण की आरती उतारे जाने के पश्चात प्रारंभ हुई कथा में कथा व्यास ने कहा कि बअहंकार से रहित होकर,श्रद्धा भाव से प्रभु का स्मरण करने वाले को ईश्वर किसी न किसी रूप में दर्शन अवश्य देते हैं।उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा उसके दुःखों का विनाश होता है। इसके विपरीत ईश्वरीय सत्ता का तिरस्कार करने वाले,जगत के प्राणियों पर अत्याचार करने वाले,गौ माता को कष्ट देने वाले तथा ऋषियों,मुनियों की प्रताड़ना करने वाले दुष्टों के संहार में भी प्रभु बहुत देर नहीं लगाते। कंस वध प्रसंग का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि स्वयं को जगत विजेता मानने वाला कंस छोटे से बालक कृष्ण के हाथों अपनी मृत्यु के भय से सदैव चिंतित रहता था। इसी भय से उसने बाल रूप में ही कृष्ण को मारने के अनेकों प्रयत्न किए। पूतना व बकासुर जैसे कितने ही राक्षस भगवान कृष्ण को मारने गए परंतु अपने ही प्राण गवा बैठे। कृष्ण को मारने की आखिरी चाल के रूप में कंस ने एक विराट मल्ल वयुद्ध कार्यक्रम का आयोजन किया व उसमें कृष्ण तथा बलराम को निमंत्रित किया। योजना थी कि हाथी से कुचल कर या फिर पहलवानों के द्वारा उनकी हत्या करवा दिया जाय। भगवान श्री कृष्ण व बलराम ने कंस के सभी पहलवानों को यमलोक भेजने के साथ ही उसका भी वध करके समूचे जगत को सुख प्रदान किया।
कथा में विजय कुमार तिवारी , बब्बू तिवारी,धनीश तिवारी, हर्षित तिवारी,ऋचीक तिवारी, अमित,अंकित,कमलेश सानिध्य, रजलू, पिंटू आदि उपस्थित रहे।