ध्रुव चरित्र की कथा सुन भाव विभोर हुए श्रोता

अतर्रा बांदा । खुरहण्ड के अतर्रा रोड पर चल रही संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथावाचक ने ध्रुव चरित्र और सती चरित्र का प्रसंग सुनाया l ध्रुव चरित्र में भगवान ने भक्त की तपस्या से प्रसन्न होकर अटल पदवी देने का वर्णन किया l
             रविवार के दिन वृंदावन माधवधाम से आए हुए भागवताचार्य जगदीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि भगवान शिव की अनुमति लिए बिना उमा अपने पिता दक्ष के यहां आयोजित यज्ञ में पहुंच गई l यज्ञ में भगवान शिव को निमंत्रण नहीं दिए जाने से कुपित होकर सती ने यज्ञ कुंड में आहुति देकर शरीर त्याग दिया, इससे नाराज शिव के गण ने राजा दक्ष का यज्ञ विध्वंस कर दिया,  इसलिए *जहां सम्मान ना मिले वहां कदापि भी नहीं जाना चाहिए* l
           ध्रुव कथा प्रसंग में बताया कि सौतेली मां से अपमानित होकर बालक ध्रुव कठोर तपस्या के लिए जंगल को चल पड़े l बारिश, आंधी, तूफान के बावजूद तपस्या से ना डिगने पर भगवान प्रकट हुए और उन्हें अटल पदवी प्रदान की l ऋषभदेव ने कथा सुनाते हुए कहा कि वह अपने पुत्रों को गोविंद का भजन करने का उपदेश देकर तपस्या को वन चले गए l भरत को हिरनी के बच्चे से अत्यंत मोह हो गया, नतीजा में उन्हें मृग योनि में जन्म लेना पड़ा l
        कथा के उपरांत कथा परीक्षित मुकुंद लाल द्विवेदी, मीरा द्विवेदी ने व्यास पीठ की आरती उतारकर मौजूद सभी भक्तों को प्रसाद वितरित कराया l
           कथा में व्यवस्थापक श्यामजी द्विवेदी ने बताया कि सोमवार के दिन श्री कृष्ण जन्मोत्सव की कथा संपन्न होगी l
         इस मौके पर समाजसेवी रामयश द्विवेदी, लोक निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर कन्हैया लाल झा, सीडीओ बाँदा वेद प्रकाश मौर्या, बड़ोखर ब्लॉक प्रमुख सोनू सिंह, श्याम सुंदर शुक्ला, मृत्युंजय द्विवेदी,  रामजी द्विवेदी, श्यामजी द्विवेदी, छोटेलाल तिवारी, देवांश द्विवेदी अभय, राजेन्द्र सिंह, शिवम द्विवेदी,  राजेश सिंह, नरेंद्र द्विवेदी, ध्रुव, प्रहलाद,अंजलि, नीतू द्विवेदी, आरती, वंदना, सहित आधा सैकड़ा से ज्यादा भक्त व व्यवस्था में कार्यकर्ता डटे रहे l

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