पंच कुंडीय गायत्री महायज्ञ कर मनाया गंगा दशहरा

यज्ञ आचार्य पंडित मदन गोपाल दुबे ने कहा कि आज के ही दिन परम पूज्य गुरुदेव ने 1990 में गायत्री जयंती पर स्थूल शरीर छोड़कर सूक्ष्म शरीर में प्रवेश किया था ।

प्रथम दिवस मनमोहन साधना कक्ष में सूर्योदय से सूर्यास्त तक जप हुआ।

यज्ञ आचार्य पंडित मदन गोपाल दुबे ने कहा कि आज के ही दिन परम पूज्य गुरुदेव ने 1990 में गायत्री जयंती पर स्थूल शरीर छोड़कर सूक्ष्म शरीर में प्रवेश किया था ।
हटा। गायत्री शक्तिपीठ में मां गंगा एवं मां गायत्री के अवतरण दिवस गंगा दशहरा पर दो दिवसीय कार्यक्रम हुआ। प्रथम दिवस मनमोहन साधना कक्ष में सूर्योदय से सूर्यास्त तक जप हुआ। द्वितीय दिवस रविवार को प्रातः 5 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के माध्यम से दो पारियों में परिजनों ने यज्ञ भगवान को अपनी आहुतियां प्रदान की। शक्तिपीठ में स्थापित स्मारकों प्रखर प्रज्ञा एवं सजल श्रद्धा का विशेष पूजन किया गया ।

यज्ञ आचार्य पंडित मदन गोपाल दुबे ने कहा कि आज के ही दिन परम पूज्य गुरुदेव ने 1990 में गायत्री जयंती पर स्थूल शरीर छोड़कर सूक्ष्म शरीर में प्रवेश किया था ।उन्होंने जल संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम सभी को जल का संरक्षण करना चाहिए। जल है तो कल है।डा सी एल नेमा ने कहा कि पतित पावनी मां गंगा के जल के स्नान से 10 प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। हमें गंगा दशहरा पर संकल्प लेना चाहिए कि हम कम से कम एक माला गायत्री मंत्र की अवश्य करें। यज्ञ में मां गंगा एवं 24 प्रकार की गायत्री की विशेष आहुतियां दी। यज्ञ के दौरान गायत्री परिजन हरिनारायण नेमा का 72 वा जन्म दिवस दीप प्रज्वलन के साथ मनाया गया। इस अवसर पर पं रामकिशोर दुबे, रमेश श्रीवास्तव, जगदीश बरसैया, हरिनारायण चौरसिया, सुशील सेलट के अलावा ग्रामीण क्षेत्र से आये अनेक परिजनों की उपस्थिति रही।

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