40 हजार रूपये अर्थदंड, न देने पर 3 माह की अतिरिक्त कठोर कैद भुगतनी होगी
जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित की जाएगी
अर्थदंड की धनराशि में से 32 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी
साढ़े सात वर्ष पूर्व नाबालिग लड़की के साथ हुए छेड़खानी का मामला
सोनभद्र। साढ़े सात वर्ष पूर्व नाबालिग लड़की के साथ हुए छेड़खानी मामले में अपर सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट सोनभद्र अमित वीर सिंह की अदालत ने बुधवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी अतुल सिंह को 3 वर्ष की कठोर कैद एवं 40 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 3 माह की अतिरिक्त कठोर कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित की जाएगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से 32 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी। अभियोजन पक्ष के मुताबिक चोपन थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी पीड़िता के पिता ने चोपन थाने में 4 अप्रैल 2016 को दी तहरीर में अवगत कराया था कि 3 अप्रैल 2016 को शाम साढ़े सात बजे उसकी 15 वर्षीय नाबालिग बेटी टहल रही थी। जिसे अतुल सिंह पुत्र अखिलेश सिंह निवासी प्रीत नगर थाना चोपन, जिला सोनभद्र बहला फुसलाकर अपहरण कर भगा ले गया। बेटी की काफी खोजबीन करने के बाद देर रात केंद्रीय विद्यालय चोपन के पास मिली। बेटी ने बताया कि उसे अतुल सिंह बहला फुसलाकर भगा ले गया था और उसके साथ उसके दो मित्र भी थे जो बाद में छोड़कर चले गए। अतुल सिंह ने उसके साथ छेड़खानी की और इसके पहले भी छेड़खानी करता रहता था। बेटी ने सारी बात बताई। आवश्यक कार्रवाई करें। इस तहरीर पर पुलिस ने तीन लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना किया। विवेचना के दौरान पर्याप्त सबूत मिलने पर विवेचक ने कोर्ट में अपहरण और पाक्सो एक्ट में चार्जशीट दाखिल किया था। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी अतुल सिंह को 3 वर्ष की कठोर कैद एवं 40 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 3 माह की अतिरिक्त कठोर कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित की जाएगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से 32 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी। एक आरोपी की जहां दौरान विचारण मौत हो गई, वहीं दूसरे आरोपी को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त करार दिया। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील दिनेश कुमार अग्रहरी, सत्य प्रकाश त्रिपाठी एवं नीरज कुमार सिंह ने बहस की।