पाक्सो एक्ट : दोषी शिक्षक को पांच वर्ष की कठोर कैद

सात हजार रूपये अर्थदंड, न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी

जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित की जाएगी

अर्थदंड की धनराशि में से 2- 2 हजार रूपये पीड़िताओं को मिलेगी

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सात वर्ष पूर्व तीन नाबालिग लड़कियों के साथ हुए छेड़खानी का मामला

सोनभद्र। सात वर्ष पूर्व तीन नाबालिग लड़कियों के साथ हुए छेड़खानी के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट सोनभद्र अमित वीर सिंह की अदालत ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी शिक्षक दिलीप तिवारी को 5 वर्ष की कठोर कैद एवं 7 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित की जाएगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से 2- 2 हजार रूपये पीड़िताओं को मिलेगी।अभियोजन पक्ष के मुताबिक राबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र के एक वार्ड निवासी पीड़िता के पिता ने 30 नवंबर 2016 को दी तहरीर में अवगत कराया था कि 29 नवंबर 2016 को उसकी नाबालिग लड़की जो कक्षा एक में पढ़ती है स्कूल से पढ़कर शाम को घर आई तो रोते हुए बताया कि उसके क्लास टीचर जब कापी चेक करने के लिए बुलाते हैं तो उसके साथ और उसकी दो सहेलियों के साथ छेड़खानी करते हैं। जब क्लास टीचर दिलीप तिवारी पुत्र अरुण कुमार तिवारी निवासी नरोखर, थाना रामपुर बरकोनिया, जिला सोनभद्र से पीड़िताओं के पिता पूछताछ करने गए तो शिक्षक ने गाली देते हुए धमकी देकर कहा कि हम इसी तरह करेंगे मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। जिसकी वजह से तीनों लड़कियां उम्र क्रमशः 6 वर्ष, 6 वर्ष और 7 वर्ष काफी डरी और सहमी हुई हैं। इस तहरीर पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना किया। विवेचना के दौरान पर्याप्त सबूत मिलने पर विवेचक ने कोर्ट में छेड़खानी और पाक्सो एक्ट में चार्जशीट दाखिल किया था।मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने,गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी शिक्षक दिलीप तिवारी को 5 वर्ष की कठोर कैद एवं 7 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित की जाएगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से 2- 2 हजार रूपये पीड़िताओं को मिलेगी। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील दिनेश कुमार अग्रहरी, सत्य प्रकाश त्रिपाठी एवं नीरज कुमार सिंह ने बहस की।

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