झांसी- आज नन्दंपुरा स्थित प्राचीन वाल्मीकि मन्दिर में रामायण के रचयिता आदिगुरु महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी बाल्मीकि जयंती एवं सम्मान समारोह का आयोजन दिनांक 28अक्टूबर 2023, समय 2:00 बजे से आरंभ हुआ ।
मूर्धन्य साहित्यकारों ने इस कार्यक्रम में अपनी गरिमामयी उपस्थिति देकर हम सबको अनुग्रहित किया। महर्षि बाल्मीकि जी के जीवन से जुड़े हुए विभिन्न अनुभवों को सुनाया उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि की जयंती शरद पूर्णिमा पर मनाई जाती है. इस दिन रामायण लिखने वाले आदिकवि महर्षि वाल्मीकि की पूजा होती है. ऐसी मान्यता है कि महर्षि वाल्मीकि ने ही तुलसीदास के रूप में पुनर्जन्म लेकर रामचरित मानस की रचना की थी. हिंदू पंचांग के अनुसार, वाल्मीकि जयंती अश्विन महीने में पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है, जो आज शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर दिन शनिवार को मनाई गई. साथ ही शरद पूर्णिमा का प्रसाद भी मिलकर ग्रहण किया।
नन्दंपुरा स्थित प्राचीन वाल्मीकि मन्दिर के सेवादार महंत जगदीश सिंह ने बताया कि नारद पुराण के अनुसार, महर्षि वाल्मीकि की नारद मुनि से मुलाकात उनके लिए जीवन बदलने वाली घटना बनी थी. इसके बाद उन्होंने भगवान राम की पूजा करने का फैसला किया और कई सालों तक तपस्या में लीन रहे. उनकी भक्ति इतनी अडिग थी कि उनके शरीर पर दीमकों ने बांबी बना ली थी. जिसका हिंदी अर्थ वाल्मीकि होता है. इस घटना के बाद से ही उनका यह नाम पड़ा. त्रेता युग में जन्मे महर्षि वाल्मीकि की याद में इस दिन को वाल्मीकि जयंती के रूप में मनाया जाता है. महर्षि वाल्मीकि का पूरा जीवन बुरे कर्मों को त्यागकर अच्छे कर्मों और भक्ति की राह पर चलने का मार्ग प्रशस्त करता है. इसी महान संदेश को लोगों तक पहुंचाने के लिए वाल्मीकि जयंती मनाई जाती है.
इस अवसर पर रेखा जगदीश सिंह, अभिषेक धवलकर, श्वेता धवलकर, सुनील कड़ेरे, ज्योति बोहरे, शिवम् सिसोदिया, रमन निरंकारी, छेत्रिय पार्षद ममता पाल जी , शुगर सिंह पाल जी आदि उपस्थित रहे