हम अपने सुख संसाधनों के लिए लगातार पर्यावरण कर रहे हैं दूषित- डाॅ० संदीप
यदि सरकार साथ दे तो बहुत जल्द देश होगा प्रदूषण मुक्त- संदीप सरावगी
झाँसी। यदि सरकार साथ दे तो पर्यावरण एवं प्रदूषण की समस्या से कुछ ही समय में निजात दिला सकता हूँ। पश्चिमी देशों का अंधानुकरण कर हमने पर्यावरण का बहुत नुकसान कर लिया इसी परिस्थिति स्वरूप आज गर्मी के मौसम में हमें नरक के समान दर्शन हो रहे हैं। लेकिन अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा हम अपनी गलती सुधार सकते हैं। इन शब्दों के साथ संघर्ष सेवा समिति के संस्थापक डॉ० संदीप सरावगी ने अपनी बात रखते हुए समिति के सदस्यों के साथ सैकड़ों की संख्या में वृक्षारोपण एवं पौधा वितरण कार्यक्रम आयोजित किया।
प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है इस अवसर पर संघर्ष सेवा समिति द्वारा विभिन्न स्थानों पर सैकड़ो की संख्या में वृक्षारोपण किया गया साथ ही पौधों का वितरण भी किया गया। इस अवसर पर डॉ संदीप ने कहा हमारे प्राणों एवं धर्म ग्रंथो में पर्यावरण से संबंधित काफी ज्ञान उल्लेखित है मत्स्य पुराण के अनुसार एक वृक्ष 10 पुत्रों के बराबर होता है। शास्त्रों के अनुसार पीपल, अशोक, पाकड़, बिल्वपत्र, वटवृक्ष, आम, कदंब, आंवला, इमली, नीम का वृक्ष लगाने से पर्यावरण तो स्वच्छ होता ही है साथ ही हमें मोक्ष भी प्रदान होता है। यह सभी वृक्ष भारी मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड सोखकर ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं लेकिन वृक्षारोपण के समय हमें इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए वृक्षारोपण उन्हीं स्थानों पर करें जहां आप उनकी देखभाल कर सकें अन्यथा पौधारोपण का कोई अचित नहीं रहेगा। वर्तमान समय में पीपल, बड़ और नीम जैसे वृक्ष रोपना बंद होने से सूखे की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। यह वृक्ष धरती का तापमान कम करने में सहायता करते हैं। हमने अपने निजी लाभ के लिए यूकेलिप्टस जैसे वृक्ष लगाने शुरू कर दिए जिससे जमीन लगातार बंजर होती जा रही है और जल स्तर भी घट रहा है। इसका प्रभाव हमारे नदियों पर भी पड़ रहा है नदियों का पानी कम हो रहा है और हमारे रासायनिक कचरे, पन्नी और घरेलू सामानों में उपयोग होने वाले कचरे से जल दूषित भी हो रहा है जिसे ग्रहण कर कई बीमारियां फैल रही हैं। हमें स्वच्छ पर्यावरण के लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि कुछ दूरी पर पीपल, बड़ और नीम के वृक्ष लगाए जायें यकीन मानिए कुछ वर्षों में ही हमारा देश प्रदूषण मुक्त हो जाएगा। आज से कुछ समय पूर्व हम देखते थे हर घर में तुलसी का पौधा होता था जिस मां के रूप में पूजा जाता था। लेकिन हमारी संस्कृति के लगातार होते ह्रास के कारण यह सभी रीतियां समाप्त होती जा रही हैं। जिस कारण हम विकट समस्याओं का सामना कर रहे हैं हमारी आगे आने वाली पीढ़ियां विषम परिस्थितियों में ना पड़ जाए इसके लिए हमें सुनिश्चित करना होगा कि हम प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए छायादार और फलदार वृक्षों का रोपण करें और अपनी नदियों को दूषित होने से बचायें। इस अवसर पर राजू सेन, सुशांत गेड़ा, कमल मेहता, अनिल वर्मा, आशीष विश्वकर्मा, अरुण पांचाल, बसंत गुप्ता, राकेश अहिरवार, संदीप नामदेव, अनुज प्रताप सिंह, मास्टर मुन्नालाल, राम अवतार राय, सुनीता गुप्ता, नीलू रायकवार, राखी, मोना रायकवार, अनिकेत गुप्ता आदि उपस्थित रहे।