शिक्षक दिवस समारोह कार्यक्रम में आयोजित की गई विचार गोष्ठी एवं काव्य संध्या
शक्तिनगर(सोनभद्र)। साहित्यिक, सामाजिक संस्था सोन संगम शक्तिनगर की ओर से भारत के पूर्व राष्ट्रपति शिक्षाविद दार्शनिक एवं आधार साध्यापक आदर्श अध्यापक के रूप मे सविख्यात डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर शिक्षक दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विचार गोष्ठी तथा काव्य संध्या आयोजित की गई।
कार्यक्रम का श्री गणेश सर्वपल्ली राधाकृष्णन की छायाचित्र पर माल्यार्पण पुष्पांजलि तथा दीप प्रज्वलन से हुआ। तदुपरांत अतिथियो का स्वागत और विषय की स्थापना डॉ मानिक चंद पांडेय ने किया। उन्होंने कहा कि आज का दिन कई दृष्टियों से विशेष महत्वपूर्ण है। आज जहां एक ओर विश्व के आदर्श शिक्षक रहे भारत रत्न सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती है, वहीं दूसरी ओर तमाम स्थानों पर हिंदी पखवाड़ा भी मनाया जा रहा है।
आज ही के दिन जाने-माने व्यंगकार शरद जोशी का भी जन्मदिन है।संपूर्ण विश्व में सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने जहां एक आदर्श अध्यापक के स्वरूप को स्थापित किया है,वहीं अध्यापक की गरिमा एवं मर्यादा को उचित स्थान दिलाया। राष्ट्रपति होते हुए भी उन्होंने अपना अध्यापक का जो एक आदर्श स्वरूप था कहीं ना कहीं उनके व्यक्तित्व मे दिखाई देता था।
इस अवसर पर डॉ छोटेलाल ने कहा कि आज की उपभोक्तावादी दौड़ में अध्यापक एवं छात्र की स्थिति में बदलाव आया है। जिसमे उचित परिवर्तन की आवश्यकता है । विवेकानंद माध्यमिक विद्यालय के अध्यापक सरस सिंह ने कहा कि आदर्श अध्यापक वह होता है जो कठिन विषय को सरल करके छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करता है। आदर्श अध्यापक वह नहीं होता है, जो सरल विषय को कठिन बनाकर छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करता है।
डॉ दिनेश कुमार ने कहा कि अध्यापक वह है जिसको देखकर मन प्रसन्न हो जाय। विवेक कुमार ने कहा कि डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने संपूर्ण विश्व को दर्शन एवं शिक्षा के महत्व को बताया। मनोरमा भारती ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की शिक्षक ही है जो छात्र को विश्व में श्रेष्ठ स्थान दिला सकता है। शिक्षक छात्र के न सिर्फ जिज्ञासा को शान्त करता है बल्कि उसके व्यक्तित्व का निर्माण भी करता है।
काव्य संध्या की आगाज करते हुए माहिर मिर्जापुर ने अपनी कुछ पंक्तियां इस प्रकार लोगों के समक्ष पेश किया यह कहने में कोई डर नहीं। इनकम टैक्स पेई हूं ,रहने को घर नहीं।उम्र कट गई तमाम, साहब को सलाम करते- करते। तरक्की फिर भी ना हुई ,थक गए काम करते-करते। कार्यक्रम के अध्यक्षता कर रहे एनटीपीसी शक्तिनगर के अपर महाप्रबंधक तकनीकी सेवाएं विनय कुमार अवस्थी ने शिक्षकों के प्रति अपना सम्मान कुछ इस प्रकार प्रस्तुत किया, गुरु का आदर करना बच्चों, भाग्य वही करते निर्धारित। आज नहीं आशीष लिया गुरु, करना होगा कल प्रायश्चित।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे रमाकांत पांडेय ने हिंदी के प्रति अपनी श्रद्धा सुमन कुछ इस प्रकार व्यक्त किया, हिंदी हमारे राष्ट्र की,अनुपम है धरोहर।रस, छंद, अलंकार से करती है मनोहर। चंद्रयान 3 को केंद्र में रखकर डॉ विजेंद्र शुक्ला ने अपनी भावना को कुछ इस प्रकार मूर्त् रूप प्रदान किया, बड़े ही तरक्की नसी हो गए हैं हम।अंतरिक्ष में विचरने की मशीन हो गए हम। जीआईसी शक्तिनगर के प्रध्यापक हिंदी बृजेश पांडेय ने वर्षा ऋतु का वर्णन अपनी कविता में इस प्रकार चित्रित किया,मेघ आकाश में गिरने लगे,देख उनको सजन फिर सजने लगे।।
बद्रीनारायण प्रसाद ने कविता को एक नया रंग देते हुए माहौल को बदला और अपनी पंक्तियां कुछ इस प्रकार लोगों के समक्ष पेश किया,कोई उपवास रखा, कोई रोजा रखा।कबुल उसी का हुआ प्रभु जी के यहां।जो गुरु के चरणों को अपने पास रखा।
इस कार्यक्रम का संचालन डॉ मानिकचंद पांडेय द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ विनोद कुमार पांडेय ने किया। इस कार्यक्रम में डॉ अविनाश कुमार दुबे, उदय नारायण पांडेय, लक्ष्मी नारायण दुबे, सीताराम, संजना, पंकज सिंह, पवन देव, अंकित अभिषेक मिश्रा, साजन सहवाल इत्यादि लोग उपस्थित रहे।