महान दोनों विभूतियो की जयंती के अवसर पर किया गया विचार गोष्ठी एवं काव्य संध्या का आयोजन
शक्तिनगर(सोनभद्र)। साहित्यिक सामाजिक संस्था सोन संगम शक्तिनगर की ओर से भारत रत्न,महामना पंडित मदन मोहन मालवीय एवं भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री पंडित अटल बिहारी वाजपेई की जयंती के अवसर पर विचार गोष्ठी एवं काव्य संध्या का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का प्रारंभ दोनों महापुरुषों के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि से हुई। तदुपरांत डॉक्टर बलराम मिश्रा द्वारा गणेश एवं सरस्वती वंदना प्रस्तुत किया गया। अतिथियों का स्वागत तथा विषय की स्थापना करते हुए डॉ मानिक चंद पांडेय ने कहा कि आज का अवसर विशेष अविस्मरणिय है।
महामना मदन मोहन मालवीय जी ने जहां एक को साहित्य के सृजन के क्षेत्र में भारतेंदु मंडल के कवियों में मकरंद नाम से कविता लिखते थे। वही दूसरी ओर हिंदी भाषा एवं लिपि को लेकर के जो कार्य किया है वह भुलाया नही जा सकता है।
पं अटल बिहारी वाजपेई ने साहित्य के क्षेत्र में मेरी इक़यावन कविताएं का संकलन देकर साहित्य जगत को समृद्ध किया। वे अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति एवं सकारात्मक सोच से तत्कालीन परिवेश में भारतीय राजनीति का एक नया उदाहरण प्रस्तुत किया।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉक्टर छोटेलाल ने मालवीय जी के पत्रकार स्वरूप को बड़े ही विस्तृत ढंग से प्रस्तुत किया। उन्होंने मालवीय जी की आदर्श पत्रकारिता एवं काला काकर के ठाकुर राजा रामपाल के पत्रकारिता जगत के आदर्श को मील का पत्थर बताया।
अरविंद चंद्र सर्राफ ने मालवीय जी के विराट व्यक्तित्व को व्यक्त करते हुए विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर उनके सामाजिक एवं शिक्षा संबंधी किए गए कार्यों का विस्तृत स्वरूप प्रस्तुत करते हुए उनको आदर्श महा मानव बताया। सरस सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए अटल बिहारी वाजपेई को भारतीय राजनीति का ऐसा विराट चरित्र बताया जो भारतीय राजनीति का एक आदर्श पुरुष कहा जा सकता है।
अटल जी की राजनीतिक सोच सभी के हित एवं सभी के सुख के लिए रही । संयुक्त राष्ट्र संघ में उनके द्वारा हिंदी में दिया गया व्याख्यान आज भी लोगों के मस्तिष्क में आच्छादित है। अन्य वक्ताओं मे बद्री प्रसाद, रमाकांत पांडेय इत्यादि ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये।
काव्य संध्या का श्री गणेश करते हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विनय कुमार अवस्थी अपर महाप्रबंधक तकनीकी सेवाएं एनटीपीसी शक्तिनगर ने कुछ इस प्रकार लोगों के समक्ष व्यक्त किया- कहां अटल ने गर्व से,हिंदू मेरा धर्म। सर्व धर्म समभाव रख, करु देश हित कर्म। अटल बिहारी को रहा, हिंदी पर अभिमान। उनके अथक प्रयास से मिली पृथक पहचान ।।
विजय लक्ष्मी पटेल ने कविता को नए अंदाज में इस प्रकार लोगों के समक्ष पेश किया, हिंद देश के वीर सपूतो, तुम्हे रण मे जाना पड़ेगा । विजय तिरंगा सीमा पर, तुम्हें ही लहराना पड़ेगा।। जाने माने गजल कार, बहर बनारसी ने, अपनी कुछ पंक्तियां इस अंदाज में बया किया, तन की नुमाइशे सरे बाजार मत करो । कहता है कौन आपसे सिंगार मत करो।
वरिष्ठ कवि, कृपा शंकर उर्फ माहिर मिर्जापुर ने अपनी कविता से लोगों को मंत्र मुक्त करते हुए कहा कि,आदमी जितना बड़ा होता है, उसकी सोच उतनी बड़ी होती है। हम जब भी सोचते हैं रोटी से इतर,सामने महंगाई खड़ी होती है।काव्य गोष्ठी का संचालन कर रहे रमाकांत पांडेय ने अपनी पंक्तियां इस प्रकार लोगों के समक्ष पेश किया,संघर्षों को गले लगाया, कभी नहीं मत हारी।
भारत मां के लिए समर्पित, तेजस्वी अटल बिहारी।। बयो वृद्ध कवि ,बद्री प्रसाद ने अपनी रचना इस प्रकार व्यक्त किया गूँजी हिंदी विश्व में, स्वप्न हुआ साकार। राष्ट्र संघ के मंच से, हिंदी की जयकार ।।
सुश्री प्रिया गुप्ता ने कुछ पंक्तिया अपनी प्रस्तुत करके को मोहित कर दिया उलझने बहुत है,खुद ही सुलझा लिया करती हूं,बहुत तकलीफ में होती हूं कभी-कभी पर फोटो खिंचवाते वक्त अक्सर मुस्कुरा दिया करती हूं।
वरिष्ठ कवि बलराम बेल बंसी ने प्रत्युपन्न मति अपनी कविता इस प्रकार पेश की, महामना ने बनवाया बी य चू अटल जी ने ग्रामीण सड़क सोन संगम ने मनाया जन्मोत्सव चाय पिलाकर एकदम कड़क।कार्यक्रम का संचालन रमाकांत पांडेय ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन श्रवण कुमार के द्वारा किया गया।
इस कार्यक्रम में मनोरमा, रंजू, कादरीन, संजना, खुशबू, मुकेश रेल, सीताराम, अवधेश मनीष यादव, शिव शंकर त्रिपाठी , सचिन मिश्रा, राम जन्म, लक्ष्मी नारायण दुबे,बी वी पटेल,अंकित, पवन देव, दीपक शाह इत्यादि लोग उपस्थित रहे।