झाँसी।-आगामी त्यौहार होली और लोकसभा चुनाव में मतदाता जागरूकता अभियान के क्रम में संघर्ष सेवा समिति जनपद के विद्यालयों में वर्चुअल माध्यम से शिक्षकों और छात्र-छात्राओं को मतदान की महत्वता और सौहार्दपूर्ण त्यौहार मनाने के बारे में समझाने का कार्य कर रही है। इसी क्रम में बड़ागांव गेट बाहर स्थित लॉर्ड महाकालेश्वर विद्यालय में वर्चुअल मीटिंग का आयोजन किया गया। जिसमें समिति के संस्थापक डॉ० संदीप सरावगी ने छात्र-छात्राओं और शिक्षकों को मतदान की महत्वता के बारे में विस्तार से समझाया। इस अवसर पर डॉक्टर संदीप ने कहा एक सशक्त, स्थाई और जन कल्याणकारी सरकार बनाने के लिए योग्य उम्मीदवारों का चुना जाना नितांत आवश्यक है। हमें अपना मतदान किसी पार्टी, समुदाय, लिंग, जातीय भेदभाव के आधार पर न करते हुए उम्मीदवार की योग्यता के आधार पर करना चाहिये। हमें ऐसा नेता चुनना चाहिए जो क्षेत्रीय जनता के मध्य खड़ा होकर उनकी समस्याओं को सुने और समस्याओं के निराकरण हेतु अपनी बात को संसद के पटल पर जिम्मेदारी के साथ रख सके। डॉ० संदीप ने छात्र-छात्राओं को इस हेतु प्रेरित किया कि वह घर जाकर अपने अभिभावकों को मतदान के महत्व के बारे में समझायें। वहीं छात्र-छात्राओं के होली के त्योहार से संबंधित प्रश्नों के उत्तर में विस्तार से जानकारी देते हुए डॉ० संदीप ने कहा एरच कस्बे के पास स्थित बेतवा नदी के किनारे बसे डिकोली गांव को ऐतिहासिक डेकांचल पर्वत के किनारे बसा गांव माना जाता है। यह मान्यता है कि इसी डेकांचल पर्वत से भक्त प्रहलाद को नदी में फेंका गया था। जिस स्थान पर भक्त प्रह्लाद को फेंका गया था। उसे वर्तमान समय में लोग प्रह्लाद कुंड के नाम से जानते हैं। झाँसी जिला मुख्यालय से लगभग 72 किलोमीटर दूर स्थित एरच कस्बे का धार्मिक दृष्टिकोण से काफी महत्व है। इस स्थान पर कई ऐसे अवशेष मौजूद हैं जिनके आधार पर इसे हिरण्यकश्यप की राजधानी माना जाता है। मान्यता है कि होली पर्व की शुरुआत झाँसी जिले के इसी एरच कस्बे से हुई थी। पुरातात्विक खोजों में यहां कई ऐसे प्रमाण मिले हैं, जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि किसी समय में इस स्थान पर विकसित सभ्यता निवास करती थी। झाँसी जिले के गजेटियर में इस बात का उल्लेख है कि एरच कस्बा एक ऐतिहासिक नगर है, जहां से होली की शुरुआत हुई थी। एरच कस्बे के पास स्थित बेतवा नदी के किनारे बसे डिकोली गांव को ऐतिहासिक डेकांचल पर्वत के किनारे बसा गांव माना जाता है। यह मान्यता है कि इसी डेकांचल पर्वत से भक्त प्रहलाद को नदी में फेंका गया था। जिस स्थान पर भक्त प्रह्लाद को फेंका गया था। उसे वर्तमान समय में लोग प्रह्लाद कुंड के नाम से जानते हैं। एरच कस्बे में महल और प्राचीन भवनों के अवशेष वर्तमान समय में मौजूद हैं, जिसे हिरण्यकश्यप का महल बताया जाता है। बताया जाता है कि इसी महल के पास हिरण्यकश्यप की बहन होलिका भक्त प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठी थी और जल गई थी। एरच कस्बे में भगवान नरसिंह का एक प्राचीन मंदिर स्थित है। मंदिर में नरसिंह भगवान की मूर्तियां मौजूद हैं, जिन्हें देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी के मुताबिक यहां पुरातात्विक खुदाई में कई ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जो बताते हैं कि झांसी जिले का एरच क़स्बा लगभग तीन हज़ार साल पुराना है। मीटिंग के अंत में डॉक्टर संदीप ने शिक्षकों और छात्र-छात्राओं को होली की अग्रिम शुभकामनायें भी दीं।