महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में मनाया गया काशी विद्यापीठ का 103वाँ स्थापना दिवस

ब्यूरो चीफ संतोष कुमार रजक सोनभद्र

शक्तिनगर(सोनभद्र)। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ शक्तिनगर में 10 फरवरी 2024 को काशी विद्यापीठ का 103वाँ स्थापना दिवस “रंग दे बसंती” शीर्षक बैनर तले मनाया गया। कार्यक्रम का श्रीगणेश भगवान गणेश की पूजा अर्चना तथा महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुआ।

तदुपरांत स्थापना दिवस का श्रीगणेश हुआ। सर्वप्रथम अतिथियों के स्वागत के उपरांत कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ महेश कुमार श्रीवास्तव के द्वारा प्रस्तुत वैदिक मंगलाचरण से हुआ। अतिथियों का स्वागत एवं विषय की स्थापना करते हुए डॉ मानिकचंद पांडे ने कहा कि विद्यापीठ का अतीत बहुत ही गौरवशाली एवं विश्व जनीन स्वरूप से परिपूर्ण रहा है।

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कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ शक्तिनगर के प्रभारी डॉ प्रदीप कुमार यादव ने कहा कि विद्यापीठ का उद्देश्य मातृभाषा, मातृभूमि की सेवा का रहा है। यही कारण है कि विद्यापीठ ने अपने समर्थ राजनेताओं, समाज सेवियों एवं क्रांतिकारी को देश के लिए दिया।

लाल बहादुर शास्त्री, कमलापति त्रिपाठी, रामकृष्ण हेगड़े, आचार्य नरेंद्र देव, आचार्य बीरबल को नहीं भुलाया जा सकता। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता डॉ छोटेलाल प्रसाद ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि महात्मा गांधी डॉ भगवान दास और राष्ट्र रत्न शिव प्रसाद गुप्त ने वैदिक विचारधारा को मूर्त रूप प्रदान किया वह स्तुत्य है।

विशिष्ट वक्ता के रूप में डॉ दिनेश कुमार ने कहा कि विद्यापीठ की अपनी कार्यशैली एवं एक अपना आदर्श रहा है जो तमाम शिक्षण संस्थानों से अलग उसके स्वरूप को दर्शाता है। दूसरे वक्ता के रूप में प्रशांत कुमार विश्वकर्मा ने अपने छात्र जीवन की स्मृतियों को याद करते हुए कहा कि काशी विद्यापीठ राष्ट्रीय धरोहर है।

यह एक ऐसा परिसर है जहां भारत माता का मंदिर विराजमान है तथा उसके जजमान के रूप में गांधी जी रहे। इसी क्रम में संस्कृत के प्राध्यापक डॉ महेश श्रीवास्तव ने कहा कि विद्यापीठ से भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का सीधा संबंध रहा है।

यहां के क्रांतिकारियों ने स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई गति प्रदान की। अन्य वक्ताओं में डॉ अनिल कुमार दुबे ने कहा कि शिक्षण, त्याग, बलिदान, समर्पण एवं परोपकार की भावना विद्यापीठ की कार्य शैली की शोभा है जो अन्य विश्वविद्यालय में नाम मात्र दिखाई देती है।

इसी क्रम में उदय नारायण पांडे ने काशी विद्यापीठ के धरोहर के रूप में मुंशी प्रेमचंद को स्थापित किया। इस कार्यक्रम में डॉ विनोद कुमार पांडे, सिद्धार्थ आनंद, अंबरीश तन, अक्षय कुमार, बरसा, विनोद, अनीता आदि लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से हुआ तथा धन्यवाद ज्ञापन रविकांत कुशवाहा ने दिया।

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