अभिषेक खरे रानू की पत्रकार वार्ता हुई संपन्न। पूरे बुंदेलखंड में संतों के नेतृत्व में चलाया जाएगा आठ दिवसीय हर मस्तक तिलकअभियान

। अभिषेक खरे रानू की पत्रकार वार्ता हुई संपन्न। पूरे बुंदेलखंड में संतों के नेतृत्व में चलाया जाएगा आठ दिवसीय हर मस्तक तिलक अभियान , सनातन संस्कृति का नहीं सहेंगे अपमान सौंपा कलैक्टर को ज्ञापन। सभी अपनी सनातन संस्कृति पर गर्व करते हुए तिलक लगाकर इस अभियान का हिस्सा बने – अभिषेक खरे रानू। टीकमगढ़।आज स्थानीय विश्राम गृह सर्किट हाउस में अभिषेक खरे रानू , संयोजक हर मस्तक तिलक अभियान समिति ने बंसत पंचमी से कुंडेश्वर धाम से संतों के नेतृत्व में शुरू हो रहे
हर मस्तक तिलक अभियान के संबंध में महत्त्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसके पहले उन्होंने वरिष्ठ समाजसेवियों व आमजन , समिति के सदस्यों के साथ कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा जिसमें उन्होंने सनातन संस्कृति की आस्था को ठेस पहुंचाने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की,संत जनों में बुंदेलखंड पीठाधीश्वर सीताराम महाराज ने कहा कि सनातन संस्कृति का अपमान हम सनातनी कतई नहीं सहेंगे, शासन – प्रशासन से यही मांग है इन धटनाओं को संज्ञान लेकर कठोर कार्रवाई हो। बिजय राधव मंदिर के महंत संत बल्लू महाराज ने हर मस्तक तिलक अभियान को ऐतिहासिक कदम बताते हुए सनातन के पक्ष में सराहनीय है इसलिए हम संत सभी संगठनों से आवाह्नन करते हैं कि वह इस अभियान में शामिल हो। वहीं गौभक्त संत देवस्वरूपानंद ने कहा कि ऐसे अभियान समाज में अपनी संस्कृति को जीवंत बनाते हैं जो नैतिक शिष्टाचार के लिए समय-समय पर जरूरी है।
सर्किट हाउस में हुई प्रेस वार्ता में हर मस्तक तिलक अभियान के संयोजक अभिषेक खरे रानू ने बताया कि हमारी समिति के द्वारा यह हर मस्तक तिलक अभियान ,बंसत पंचमी के शुभ अवसर पर संतों के नेतृत्व में कुंडेश्वर धाम से शुरू हो रहा है जिसमें सर्वप्रथम बुंदेलखंड के कुंडेश्वर धाम में भगवान महादेव को तिलक लगा कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया गया तथा जिसके पश्चात हमारे बुंदेलखंड क्षेत्र के पूज्य संतों के नेतृत्व में हर मस्तक तिलक अभियान का शुभारंभ कुंडेश्वर धाम से शुरू हुआ, जिसमें सभी सनातनी बंधुओं को भारतीय संस्कृति के अनुरूप तिलक लगाया गया। वरिष्ठ समाजसेवियो ,आमजन व समिति सदस्यों द्वारा कलैक्टर महोदय को ज्ञापन सौंपा गया , जिसमें उनसे स्कूल – शिक्षण संस्थानों को आदेशित किया जाये ब कार्यबाही प्रस्ताव किये जाने का आग्रह किया जिससे सनातन संस्कृति की आस्था से खिलवाड़ न हो,हाल ही में केंद्रीय विद्यालय की प्रधानाचार्य सपना टुभर्न द्वारा बच्चों के तिलक धुलवाकर कर हिन्दू धर्म की आस्था का अपमान किया गया जिस पर उनके अभिभावकों द्वारा कड़ी आपत्ति जताई गई,उनकी अस्वास्थ्य मानसिकता इस बात से भी पता चलती है कि 26 जनवरी को होने वाले झंडा रोहण कार्यक्रम को उनके द्वारा स्कूल मे 25 जनवरी को किया गया तथा क्षेत्र के अन्य प्राईवेट शिक्षण संस्थानों में भी सनातन संस्कृति का अपमान लगातार काफी समय से हो रहा है पुष्पा स्कूल की भी शिकायत मिली है इसी प्रकार के धटनाओं की पुनरावृति न हो इसलिए यह ज्ञापन सोंपा गया
यह हर मस्तक तिलक अभियान आठ दिवसीय चलाया जाएगा, जिसमें रोज अलग-अलग कार्यक्रमों के माध्यम संपूर्ण बुंदेलखंड क्षेत्र में संतों के नेतृत्व में विभिन्न संगठनों के सहयोग से सनातन प्रेमियों का तिलक बंधन किया जाएगा व उन्हें सनातन संस्कृति जो कि भारतीय संस्कृति का रूप है उसके प्रति जागरूक किया जाएगा। आज से हम समिति के कार्यकर्ता जिले में ही नहीं बल्कि संपूर्ण बुंदेलखंड क्षेत्र में सभी संतो, क्षेत्र के वरिष्ठ समाजसेवियों, संगठनों व उनके अध्यक्षों , व्यापारीगण, जनप्रतिनिधिगण, राजनीतिक संगठनों,योगकर्ताओं,संस्थान , साहित्यकारों, कवियों, आश्रमों, एडवोकेट संध,स्वास्थ्य संस्थानों, गांव में पंचायत वर्ग,स्कूल व कोचिंग संचालक , महाविद्यालय व सभी वर्गों आदि में उनसे उनसे आवाह्नन कर उन्हें प्रेरित किया जाएगा की वह इस हर मस्तक तिलक अभियान में शामिल होकर सनातन व भारतीय संस्कृति में अपना भी योगदान देकर गौरवान्वित हों। अभिषेक खरे रानू ने तिलक का आध्यात्मिक तर्क देते हुए बताया कि भारतीय लोग माथे पर कुमकुम या तिलक लगाते हैं। मस्तक के प्रवेश के सामने से सुषुम्ना नाड़ी जाती है , यह मुख्य नाड़ी कहलाती है, जो मोक्ष दिलाती है। इस पर तिलक लगाना ऊर्ध्व गति का संकेत चिन्ह है ,जिस प्रकार माताएं बहने विवाहित अथवा अविवाहित उनकी पहचान है माथे का सिंदूर है , इसी प्रकार कोई भक्त वैष्णव है या नहीं भगवान का भक्त है या नहीं उसकी पहचान मस्तक का तिलक है । उन्होंने वैज्ञानिक तर्क देते हुए कहा कि तिलक आज्ञा चक्र पर लगाने से याददाश्त बढ़ती है। आभामंडल तेज होना आंखों के मध्य से माथे तक एक नस जाती है, कुमकुम या तिलक लगाने से उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है, और तिलक लगाते समय अंगूठी या उंगली के दबाव से रक्त संचार बढता है चेरी की त्वचा की रक्त संचार वाली मांसपेशियां सक्रिय हो जाती है। भूमध्य स्थान में अंदर की ओर पीयूष ग्रंथि होती है जो सभी ग्रंथियां की नियंत्रक ग्रंथि होती है, इसी स्थान पर खोपड़ी के अंदर पीनियल ग्रंथि होती है, जिसका स्त्राव मनुष्य को समाधि की अवस्था तक ले जाता है। मस्तक का तिलक मस्ती की उसे भाग को सक्रिय करता है जो सहज ज्ञान अंतर प्रज्ञा का केंद्र है। आज्ञा चक्र पर तिलक लगाने से मस्तीस्क की क्रियाशीलता और अंतर्मन को संवेदनशीलता में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हो जाती है इसलिए पुण्य कर्म करते हुए सभी को तिलक लगाना चाहिए। अभिषेक खरे रानू ने बताया कि यह अभियान 21 फरवरी तक चलाया जाएगा ,21 फरवरी को एक बड़े रूप में बुंदेलखंड क्षेत्र के सभी संस्थाओं व संगठनों द्वारा भव्य रूप से इसे सभी स्तर पर अलग-अलग क्षेत्रों में एक उत्सव की भांति मनाया जाएगा।अभिषेक खरे रानू की समिति ने एक क्यूआर कोड जारी किया है जिसमें बुंदेलखंड क्षेत्र के युवा वर्ग के साथ-साथ सभी वर्ग अपने मोबाइल से हेशटैग # सेल्फी लेते हुए अपनी सनातन संस्कृति की पोस्ट तिलक लगाकर फोटो व वीडियो सोशल मीडिया एकाउंट पर एवं इस क्यूआर कोड पर अपलोड इस अभियान मे भाग ले अपनी सनातन संस्कृति पर गर्व करते हुए सभी तिलक लगाकर इस अभियान का हिस्सा बने,किसी भी देश की उन्नति व उत्थान तभी संभव है जब वह अपने राष्ट्र की संस्कृति व भावना पर सम्मान करें,उस पर गर्व करे किसी देश की मूल भावना संस्कृति ही उसका आधार है। साथ में ज्ञापन देने वालों में

सभी संघटनो और कार्यकर्ताओ के नाम की लिस्ट भेजी है

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