नेशनल पी जी कॉलेज के प्राचार्य प्रो. देवेन्द्र कुमार सिंह के मार्गदर्शन में जंतु एवं वनस्पति विभाग द्वारा ‘विश्व वन्यजीव दिवस’ मनाया गया

  • विश्व वन्यजीव दिवस’ पर प्राणी उद्यान भ्रमण कर छात्र- छात्राओं के खिल उठे चेहरे

शकील अहमद

लखनऊ। राजधानी लखनऊ के नेशनल पी जी कॉलेज के प्राचार्य प्रो. देवेन्द्र कुमार सिंह के मार्गदर्शन में दिनांक 03/03/2024 को जंतु एवं वनस्पति विभाग द्वारा ‘विश्व वन्यजीव दिवस’ मनाया गया। इसके उपलक्ष्य में महाविद्यालय के 50 छात्र-छात्राओं ने ‘नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान’ जिसे लखनऊ ज़ू के नाम से जाना जाता है, का शैक्षिक भ्रमड़ किया।

प्राचार्य प्रो. देवेन्द्र सिंह जी ने छात्र-छात्राओं को संदेश दिया कि किताबी ज्ञान के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान होना भी अति आवश्यक है उन्होंने कहा कि इस दिन को वैश्विक स्तर पर इसलिए मनाया जाता है ताकि दुनिया के वन्य जीवों और वनस्पतियों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाई जा सके और पर्यावरण एवं पारिस्थितिक तंत्र में उनकी सकारात्मक भूमिका से लोगों को अवगत कराया जा सके।

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इसके लिए हम सभी को अपने ग्रह और स्वयं की रक्षा के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है। जंतु विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. ज्ञानेन्द्र कुमार ने बताया कि 20 दिसंबर 2013 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा के अड़सठवें सत्र में 3 मार्च को विश्व वन्यजीव घोषित करने का निर्णय लिया गया। यह तारीख 1973 में ‘वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन’ (सीआईटीईएस) को अपनाने का दिन है।

हमें अधिक सतत जीवन जीना, प्रकृति का सम्मान करना और इसकी विविधता की रक्षा करना सीखना होगा। हमें उन सभी प्रजातियों के प्राकृतिक आवासों को और अधिक संरक्षित करने की आवश्यकता है जो विलुप्त होने के खतरे में हैं। जंतु विज्ञानं की असिस्टेंट प्रो. डॉ. अर्चना सिंह ने बताया कि वन्य जीवन का मानव जीवन के लिए अत्यधिक महत्व है, यह प्रकृति के सौन्दर्यबोध की तरह कार्य करता है। विश्व में खाद्य श्रृंखला को बनाए रखने में वन्यजीव एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं, वन्यजीवों की अनुपस्थिति विश्व की प्राकृतिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाती है।

छात्रों को सम्बोधित करते हुए वनस्पति विज्ञानं के विभागध्यक्ष डॉ. अविजीत चटर्जी ने कहा कि विश्व वन्यजीव दिवस 2024 का विषय “लोगों और नक्षत्र को जोड़ना: वन्यजीव संरक्षण में डिजिटल नवाचार की खोज” है। यह वर्ष हमें प्रेरित करता हे की विभिन्न उपलब्ध माध्यमों एवं नए संसाधनों की खोज के जरिये हमें वन्यजीवों के संरक्षण में एक अहम भूमिका निभानी होगी क्युँकि प्रत्येक जीव जंतु पर्यावरण की स्थिरता को बनाये रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता हे।

इसी क्रम में वनस्पति विज्ञान के डॉ. अनुज सिंह ने छात्रों को समझाया कि वन्यजीव शब्द उन जीव-जंतुओं की प्रजातियों को दिया गया है जो मानव निवास से दूर रहते हैं और जिन्हें वश में नहीं किया जाता है। वन्यजीवों की श्रेणी में जंतुओं के साथ साथ पौधे एवं वनस्पतियां भी आती हैं जिनका संरक्षण अति आवश्यक है।

आज खेल, धन, सजावटी सामान, औषधि इत्यादि के लिए इनका अवैध रूप से शिकार एवं कटान बढ़ता जा रहा है जिस पर रोक लगाना अति आवश्यक है। छात्रों ने इस शैक्षिक भ्रमण के समय वन्य जीवन से मिलकर तथा औषधीय वनस्पतियों को देखकर बहुत सारी जानकारी हासिल की एवम जू में आए पर्यटकों एवम आगंतुकों से मौखिक संवाद के जरिए वन्यजीवों के संरक्षण हेतु जागरूकता फैलाई ।

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