अशोक कुमार को मेजर ध्यानचंद लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्डपिता के

झांसी- हाकी इंडिया के सबसे ख्याति लब्ध मेजर ध्यानचंद टाईम अचीवमेंट अवॉर्ड महान ओलंपियन बलबीर सिंह सीनियर, शंकर लक्ष्मण, गुरु बक्श सिंह जैसे महान खिलाड़ियों के नाम से जुड़ा हो जिन्होने देश का नाम रोशन करते हुए ध्यानचंद की विरासत को ऊंचाइयों पर प्रतिष्ठित करने मे अपना अतुलनीय योगदान देश की हाकी को दिया ।उसी मेजर ध्यानचंद लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित महान खिलाडियों की श्रंखला में अशोक कुमार का शामिल होना हम सभी देश वासी , खिलाडी, खेल प्रेमी के लिए आज गौरवपूर्ण स्वर्णिम एहसास कराने वाला पल है। जब आज अशोक कुमार समारोह मे शामिल होने जा रहे थे उस समय मुझसे उनकी बातचीत हुई किन्तु यह आभास न उन्हें था और न ही मुझे बल्कि मैंने उनसे पूछा भी की भाई साहब इस बार का मेजर ध्यानचंद लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड किसे मिलना है तो उन्होने हंसते हुए कहा कि यह तो समारोह मे पहुंच कर ही पता चलेगा कि मेजर ध्यानचंद लाईफ टाइम अवॉर्ड किसे मिलेगा? मुझे पता नहीं थोड़ी देर बाद वह सुखद समाचार मिला की मेजर ध्यानचंद लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से अशोक कुमार नवाजे गए है। उन्हें भी इस बात का कोई पूर्व आभास नहीं था और यदि था भी तो आज जिस सहजता और सरलता से कुछ मिनटों पहले ही जो चर्चा हुई ।उसने उनकी महानता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वे हर स्थिति में कितने सहज और सरल होते है और इसलिए वे ध्यानचंद की विरासत के सच्चे हकदार हैं। जिनके आसपास भी घमंड और एहम फटकता तक नही है क्योंकि वे आम आदमी ध्यानचंद के सुपुत्र है जिन्हे दुनिया ने उसके फन और हुनूर के चलते हाकी का जादूगर कहा किन्तु वह आम आदमी की तरह ही अपने को समझते हुए अपनी सामान्य जिंदगी जीते रहे और वही कुछ गुणों के साथ अशोक कुमार भी सामान्य जिंदगी जीने वाले एक आम आदमी ही हैं । जो गांव गरीब, हर एक से बढ़कर मिलते हैं और प्यार करते हैं।
हाकी इंडिया की चयन समिति का धन्यवाद है की उन्होने वास्तव मे एक ऐसे खिलाड़ी और इंसान का चयन किया जिसका दिल हर एक छोटे बड़े सभी के लिए धड़कता है स्नेह और प्यार से भरा हुआ है। विश्व कप के तीनो रंगों के पदकों को अपने सीने पर शोभित किए हुए 1975 विश्व कप मे भारत की ओर से विजय गोल दागने वाले अशोक कुमार मैदान के अंदर जीतने लोकप्रिय है उससे कहीं अधिक मैदान के बाहर अपने चाहने वालो में लोकप्रिय हैं। 1972 म्यूनिख ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता, तीन एशियन गेम्स के रजत पदक विजेता , 1970 के दशक मे भारतीय हाकी के पर्याय बन चुके अशोक कुमार ने अपने चाचा ग्रेट ओलंपियन कैप्टन रूप सिंह से अपने खेल और हाकी की ए बी सी डी को सीखा। 1964 टोक्यो ओलम्पिक मे भारतीय हाकी टीम को स्वर्ण पदक जीतते हुए सुनी हुई कमेंट्री ने ओलंपियन बनने का सपना दिखाया और संकल्पित किया। इनामुर्रहमान जैसे हाकी कला के धनी खिलाड़ी से अपनी खेल कला को निखारा जिन्हें अशोक कुमार अपना आदर्श खिलाड़ी मानते हैं। आज इस प्रतिष्ठित अवॉर्ड से सम्मानित होने पर वास्तव मे कैप्टन रूप सिंह सबसे ज्यादा गर्व महसूस हो रहा होगा जिनकी सिखाई गई हाकी कला और हाकी आज अशोक कुमार के नाम से सम्मानित हुई है।
ध्यानचंद खेल परिवार की स्वर्णिम खेल विरासत और लंबी खेल यात्रा मे आज एक और स्वर्णिम अध्याय अशोक कुमार को मेजर ध्यानचंद लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिलने के साथ जुड़ गया है । संयोग देखिए की महान खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर को मेजर ध्यानचंद लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला जो 1975 विश्व विजेता हाकी टीम के मैनेजर रहे और आज उसी टीम के होनहार विजय गोल दागने वाले अशोक कुमार को मेजर ध्यानचंद लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला है वहीं जिस 1964 की टोक्यो ओलम्पिक की उस स्वर्णिम कमेंट्री को सुन अशोक कुमार को ओलंपियन बनने का संकल्प मन मस्तिष्क में आया पूर्व मे उसी स्वर्णिम टीम के दो महान खिलाड़ियों शंकर लक्ष्मण और गुरु बक्स सिंह को इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया यह कड़ी भी आज अशोक कुमार के सम्मान से जुड़ती हुई दिखती हैं की जिन खिलाड़ियों को उन्होने स्वर्ण पदक विजेता होते देखा पहले वे उस सम्मान के हकदार बने और फिर आज अशोक कुमार ।
अशोक कुमार एक महान खिलाड़ी होने के साथ साथ एक नेक दिल हर एक के जीवन की चिंता करने वाले , संवेदनाओं से भरे व्यक्ति है सभी को सम्मान देने वाले संगीत के न केवल जानकर बल्कि एक अच्छे गायक के रूप मे अपने चाहने वालो के बीच विख्यात हैं ।
मेजर ध्यानचंद लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड को आज अशोक कुमार अपने हाथो से लेते हुए दिखते है 15 मार्च 1975 के उस दिन की याद ताजा कर देते है जब उनकी हाकी स्टिक से निकले विजय गोल ने भारतीय हाकी टीम के खिलाड़ियों के हाथो मे विश्व कप ट्रॉफी थामने का अवसर और प्रत्येक भारतीय को राष्ट्र गान के साथ तिरंगे को आसमान की ऊंचाइयों पर प्रतिष्ठित होते दृश्य को सजीव कर दिया था , आज ठीक वहीं दृश्य अशोक कुमार को सम्मानित होते देख लाखो भारतीय आंखो के सामने तैर गया हैं।
हाकी इंडिया के प्रत्येक सदस्य का आभार और धन्यवाद है जिनकी पारखी नजरों ने अशोक कुमार को इस अवॉर्ड से सम्मानित करने के काबिल समझा।
बृजेन्द्र यादव (खेल समीक्षक)

पिता के नाम का सम्मान पाकर बेहद रोमांचित हूं-अशोक कुमार

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