आपसी सामंजस्य स्थापित कर सांस्कृतिक धरोहर “छऊ” के विकास की ओर कार्य करने के दिए गए निर्देश
“छऊ” कला के विभिन्न क्षेत्र नृत्य, वाद्य तथा मुखौटा निर्माण आदि में इच्छुक नई पीढ़ियों को जोड़े ताकि छऊ कला का विकास हो- उपायुक्त
सरायकेला (झारखंड)। समाहरणालय स्थित सभागार में उपायुक्त -सह-अध्यक्ष, राजकीय छऊ कला केंद्र, सरायकेला श्री रविशंकर शुक्ला के अध्यक्षता में राजकीय छउ नृत्य कला केंद्र, सरायकेला के सफल संचालन को लेकर बैठक आहूत की गई। बैठक में अनुमंडल पदाधिकारी -सह- सचिव राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र, सरायकेला श्री सुनील कुमार प्रजापति, प्रखंड विकास पदाधिकारी सह निदेशक छऊ कला केंद्र, सरायकेला श्रीमती यस्मिता सिंह तथा समिति सदस्य एवं स्थानीय कलाकार उपस्थित रहें।
बैठक के दौरान उपायुक्त नें राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र,सरायकेला के सफल संचालन को लेकर बिंदुवार चर्चा कर सभी समिति सदस्य एवं कलाकारों को एकमत होकर आपसी सामंजस्य स्थापित करते हुए सांस्कृतिक धरोहर “छऊ” के विकास की ओर कार्य करने की बात कही, उपायुक्त नें “छऊ” के विभिन्न क्षेत्र जैसे विभिन्न नृत्य, वाद्य , मुखौटा निर्माण आदि के क्षेत्र में इच्छुक नई पीढ़ियों को प्रशिक्षण प्रदान करने तथा विभिन्न क्षेत्र में गुरुजन का डॉक्यूमेंट्री तैयार करनें की बात कही।
बैठक के क्रम में समिति सदस्यों तथा कलाकारों के साथ बिंदुवार चर्चा करते हुए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रुप से “छऊ” कला से जुड़े कलाकारों का सूची तैयार करने, सभी चिन्हित छऊ कलाकारों को पहचान पत्र बनाने, छऊ मास्क को जी.आई. टैग उपलद्ध कराने, छऊ कला प्रशिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करने तथा , सर्व सहमति से पुनः समिति चयन पर चर्चा किया गया।
बैठक के अंत में उपायुक्त द्वारा कलाकारों से “छऊ” कला के प्रबंधित तथा विकास को लेकर मांगे गए सुझाव पर विभिन्न सदस्यों द्वारा छऊ कला क्षेत्र में संगीत एवं संगीतकार को स्थान उपलब्ध करने, सिलेब्स तैयार करने, जिले में बंद पड़े तीन कला केंद्र को पुनः प्रारम्भ करने, राजकीय पर्व में सभी कलाकारों को समान रुप से सम्मानित करने तथा समिति गठन में सभी की सहमति सुनिश्चित करने की बात रखी गई।
बैठक के अंत में उपायुक्त ने कहा कि बैठक का मुख्य उद्देश्य कलाकार को संगठित कर छऊ का विकास करना है, अतः “छऊ” कला से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े सभी कलाकार छऊ के विकास की ओर चर्चा करें ताकि आने वाले समय में बेहतर समन्वय स्थापित कर त्यौहार पूर्ण वातावरण में स्थानीय रीति-रिवाज से पूजा-अर्चना सम्पन्न कराया जा सकें।