झांसी में सन् 2017 में हुए युग प्रतिक्रमण यति सम्मेलन को श्रद्धालुओं ने स्मरण किया

  • गुरुभक्तों ने नम आंखों से दी गणाचार्य विरागसागरजी महामुनिराज को भावभीनी विनयांजलि
  • सल्लेखना पूर्वक समाधिमरण पर किया गया गुरु विरागसागर का गुणगान
  • झांसी में सन् 2017 में हुए युग प्रतिक्रमण यति सम्मेलन को श्रद्धालुओं ने स्मरण किया
  • गुरुदेव विरागसागरजी महाराज के चित्र के समक्ष प्रज्ज्वलित किए गए 108 विशेष दीप
  • विनयांजलि सभा में जैन समाज के श्रेष्ठियों ने गुरुदेव के सानिध्य में बिताए संस्मरण साझा किए

झांसी:- बुन्देलखण्ड के प्रथम दिगम्बर जैनाचार्य, भारत गौरव, राष्ट्रसंत उपसर्ग विजेता श्री विरागसागरजी महामुनिराज के समतापूर्वक समाधिमरण के उपरान्त गुरुभक्तों के द्वारा देश भर में विनयांजलि सभा आयोजित हो रही है। इसी श्रंखला में झांसी महानगर के शहर क्षेत्र कटरा मौहल्ला स्थित श्री १००८ अतिशयकारी पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में गुरुदेव के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करने हेतू विनयांजलि सभा आहूत की गई।
इस अवसर पर सर्वप्रथम सकल जैन समाज झांसी के अध्यक्ष अजित कुमार जैन, पुलक जन चेतना मंच (मुख्य शाखा) के अध्यक्ष दिनेश जैन “डीके”, महामंत्री सिंघई संजय जैन, मन्दिर पदाधिकारी कमलेश जैन “रोहित गारमेंट्स”, गौरव जैन “नीम”, सौरभ जैन “सर्वज्ञ”, शरद जैन “चाचा”, मुकेश जैन “मुंगावली”, राकेश जैन “पड़रा”, जिनेन्द्र जैन, नमन जैन ने दीप प्रज्जवन कर सभा का शुभारंभ किया। जिसमे सौरभ जैन (एक्सिस बैंक) द्वारा गुरुभक्ति में विनयांजलि भजन सुनाकर मंगलाचरण प्रस्तुत किया। भजन सुनकर उपस्थित जनसमूह भाव विभोर हो गया। तदुपरांत महिला जैन समाज की महामंत्री श्रीमति कल्पना जैन, प्रमाणिक जैन पाठशाला की संचालिका श्रीमति संगीता जैन “मॉम्स बेकरी”, श्रीमति अर्चना जैन “सागर गेट”, सीमित जैन “अछरौनी” सहित कई वक्ताओं ने आचार्य श्री के जीवन पर प्रकाश डालते हुए भावभीनी विनयांजलि समर्पित की और झांसी में सन् 2017 में हुए युग प्रतिक्रमण यति सम्मेलन को श्रद्धालुओं ने स्मरण किया।
इस अवसर पर सकल जैन समाज झांसी के अध्यक्ष अजित कुमार जैन ने विनयांजलि समर्पित करते हुए कहा कि मैंने अपने जीवन में गणाचार्य विरागसागर जी महाराज जैसा सरल सहज संत नहीं देखा। समाज का प्रतिनिधि होने के नाते अनेकों बार उनके दर्शन कर धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रमों के विषय में चर्चा कर आशीर्वाद का सौभाग्य प्राप्त हुआ। भारत विकास परिषद् विवेकानन्द शाखा के संस्थापक सचिव सौरभ जैन सर्वज्ञ ने सन् 2016 में झांसी से भिण्ड की ओर पदविहार के दौरान का संस्मरण साझा करते हुए आचार्य श्री द्वारा दिए गए सूत्र “संघे शक्ति कलियुगे” का उल्लेख किया।
युवा नेता भाजपा वरुण जैन ने विनयांजलि व्यक्त करते हुए कहा कि गणाचार्य विरागसागरजी महाराज ज्योतिष विद्या के महान ज्ञाता रहे उन्होंने सन् 2016 के झांसी प्रवास के दौरान दर्शनार्थ करगुंवाजी पहुंचे राजीव सिंह पारीछा को विधायक बनने का आशीर्वाद प्रदान किया था जिसके फलस्वरूप राजीव सिंह पारीछा को सन् 2017 में भारतीय जनता पार्टी से बबीना विधानसभा का टिकट मिला और विजयश्री प्राप्त हुई।
विनयांजलि सभा में मंदिर पदाधिकारी नीलेश जैन “सागर गेट”, अजय जैन, विमल जैन “बीड़ी वाले”, नरेश जैन “मल्लन”, प्रदीप जैन “महरौनी”, विकास जैन “विक्की चिरगांव”, मासूम जैन, अर्पित जैन “अनी”, मयंक जैन “सनी”, दिव्यांश सिंघई, शुभम जैन “छोटू”, संयोग भण्डारी, आशीष जैन “माची”, राजीव जैन मुंगावली, श्रीमति विमला जैन, प्रभा जैन, सुषमा जैन, शशि जैन “मुहारी”, ममता जैन, कल्पना जैन चैनू, दीप्ति जैन, मीना जैन “रानी”, पिंकी जैन, नीतू जैन, मंजू जैन, मैना जैन, उषा जैन,अंजना जैन, राखी जैन, मीना जैन, शिल्पी जैन,शशि जैन,सुनीता जैन,किरण जैन, सविता जैन, साक्षी जैन, रिया जैन,निकिता जैन सहित सैंकड़ों श्रावक – श्राविकाओं ने  बारह भावनाओं का चिंतन कर महामंत्र णमोकर का पाठ पढ़ते हुए गणाचार्य श्री के चित्र के समक्ष विशेष 108 दीप प्रज्ज्वलित कर समाधिमरण की भावना भाते हुए अनुमोदना कर विनयांजलि समर्पित की।
परम गुरुभक्त अमन जैन “विरागप्रिय” ने बताया कि गुरुदेव की समाधि स्थल जालना महाराष्ट्र से रज कलश लाकर जैन समाज के सहयोग से झांसी में गणाचार्य विरागसागर चरण मंदिर बनाया जायेगा।
कुशल मंच संचालक सौरभ जैन सर्वज्ञ ने विनयांजलि सभा का संचालन एवम् गौरव जैन नीम ने आभार व्यक्त किया।
________box में_____________

  • गणाचार्य विरागसागर जी मुनिराज क्यों कहलाए “उपसर्ग विजेता”
  • “जितना-जितना उपसर्ग सहा, उतनी उतनी समता आयी”

यूं तो गणाचार्य विरागसागरजी महामुनिराज से द्वेष भाव रखने वाले बैरियों ने जीवन भर प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से कई प्रकार के उपसर्ग किए लेकिन सन् 2003 की भिलाई चातुर्मास के दौरान की एक घटना का उल्लेख करते हुए सौरभ जैन सर्वज्ञ ने बताया कि गुरुदेव से द्वेष व बैर रखने वाले एक व्यक्ति ने विरागसागर जी महाराज का अर्धरात्रि में बेहोश कर मारुति वैन में बैठाकर अपहरण करने का कुत्सित कार्य किया था लेकिन चातुर्मास में मुनिराज द्वारा ली गई नगर की सीमा प्रतिज्ञा से आगे उस गाड़ी को दैवीय शक्तियों ने आगे नहीं जाने दिया तत्क्षण वह अपहरणकर्ता विवश होकर आचार्य श्री को वहीं छोड़कर भाग खड़े हुए। प्रातः होते ही आचार्य श्री को न पाकर संघ और समाज में असमंजस की स्थिति बन गई। किसी राहगीर के माध्यम से पता चला कि एक मुनिराज नगर की सीमा पर एक निर्जन स्थान पर ध्यान मुद्रा में बैठे हुए है तब समाज के तमाम युवा शक्ति आचार्य श्री को लकड़ी के तख्त पर विराजमान कर अपने कंधो से वापिस जैन मंदिर चातुर्मास स्थल तक लाए। उपसर्ग आने पर समता को धारण करना और उपसर्ग करने वाले को भी क्षमा कर देना जैन साधु का स्वभाव होता हैं। आचार्य विराग सागर जी महाराज को इस घटना के बाद समस्त दिगम्बर साधु संघों व समाज ने “उपसर्ग विजेता” की उपाधि से अलंकृत किया। गौरतलब है उपसर्ग के पूर्व ही  दिन में जैन समाज झांसी का एक प्रतिनिधि मण्डल ब्रह्मचारी पंकज भैया (वर्तमान में उपाध्याय विहसंत सागर मुनिराज) के साथ विमल जैन “बड़ागांव वाले”, भामाशाह जैन,सौरभ जैन सर्वज्ञ आदि भिलाई (छत्तीसगढ़) में आचार्य श्री से आशीर्वाद लेकर झांसी के लिए रवाना हुए। दूसरे दिन जब झांसी आकर यह अप्रिय घटना का समाचार सुना तो सभी बहुत ही व्याकुल हो गए।

Advertisement

झांसी में सन् 2017 में हुए युग प्रतिक्रमण यति सम्मेलन को श्रद्धालुओं ने स्मरण किया

Keep Up to Date with the Most Important News

By pressing the Subscribe button, you confirm that you have read and are agreeing to our Privacy Policy and Terms of Use
Advertisement