-स्वच्छ ऊर्जा एवं सार्वजनिक परिवहन साधनों के उपयोग से कम किया जा सकता है वायु प्रदूषण–डॉ रमाकांत
-अस्थमा, तीव्र श्वसन रोग, फेफड़ों के रोग आदि के लिए उत्तरदायी है वायु प्रदूषण – डॉ उत्सव राज
झांसी। स्वास्थ्य विभाग झांसी द्वारा राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत मुख्य चिकित्सा अधिकारी झांसी सुधाकर पांडेय के निर्देशन में *पांचवा इंटरनेशनल डे ऑफ़ क्लीन एयर फाॅर ब्लू स्काई* के अंतर्गत *थीम — इन्वेस्ट इन क्लीन एयर* पर आधारित पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन आर्य कन्या डिग्री कॉलेज झांसी में किया गया।
इस अवसर पर नोडल अधिकारी डॉ रमाकांत स्वर्णकार द्वारा वायु प्रदूषण के कारणों पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए कहा कि राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत वायु व जल प्रदूषण के दुष्प्रभावों को कम करने एवं जनमानस को जागरूक करने हेतु शासन स्तर से छात्र-छात्राओं का संवेदीकरण किए जाने के निर्देश के क्रम में डिग्री कॉलेज में कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
डॉ उत्सव राज पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट द्वारा बताया गया कि वायु प्रदूषण के कारण आंखों में जलन, श्वसन रोग, हृदय रोग, त्वचा रोग, फेफड़े का कैंसर इत्यादि केस अधिक मात्रा में देखने को मिल रहे हैं। यदि हम अपने स्तर से छोटे-छोटे उपाय करें तो प्रदूषण की मात्रा को कम कर सकते हैं, जैसे- परिवहन हेतु सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करें। इलेक्ट्रिकल व्हीकल का उपयोग बढ़ाया जाए। ग्रीन एनर्जी स्रोत का उपयोग किया जाए।
रसोई गैस ईंधन का उपयोग किया जाए। अनावश्यक विद्युत उपकरणों का उपयोग सीमित किया जाए। पंखे, बल्ब, लाइट आदि इस्तेमाल में न होने पर स्विच ऑफ किए जाएं। इन उपायों को अपना कर प्रदूषण को कुछ हद तक काम किया जा सकता है।
डॉ अनुराधा राजपूत एपिडेमियोलॉजिस्ट द्वारा बताया गया कि सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग, धुंआ रहित ईंधन का प्रयोग, पटाखे, पराली इत्यादि ना जलाए जाने व वृहत वृक्षारोपण से वायु प्रदूषण को रोका जा सकता है। वायु प्रदूषण से पीएम 10 पीएम 2.5 खतरनाक कण फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर जाते हैं और रक्त प्रणाली में प्रवेश कर हृदय और श्वसन संबंधी बीमारियों के साथ फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं।
स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी डॉ विजयश्री शुक्ला ने बताया कि स्वच्छ ऊर्जा एवं सार्वजनिक परिवहन प्रणालियां वायु प्रदूषण व जलवायु परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जीवाश्म ईंधन कार्बन उत्सर्जन का मुख्य स्रोत है। वायु गुणवत्ता मानव के जीवन, स्वास्थ्य, पानी, भोजन, आवास और पर्याप्त जीवन स्तर के अधिकारों को प्रभावित करती है। वायु प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2020 से 7 सितंबर को *क्लीन एयर फाॅर ब्लू स्काई अंतर्राष्ट्रीय दिवस* मनाया जाता है।
प्रधानाचार्य डॉ अलका नायक ने इस अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि कोरोनाकाल में ऑक्सीजन की कमी से सभी लोगों को कष्ट उठाने पड़े थे। यदि प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया जाता है तो उसके दुष्प्रभाव मनुष्य पर पड़ते हैं, इसलिए अधिक से अधिक संख्या में पौधे लगाने से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा कम कर ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाई जा सकती है।
पोस्टर प्रतियोगिता में छात्राओं ने इन्वेस्ट इन क्लीन एयर थीम पर आधारित पोस्टर बनाए। जिसमें कु0 नंदिनी ने प्रथम, कु0 कंचन वाल्मीकि ने द्वितीय व कु0 अपूर्वा पाठक ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।सान्त्वना पुरस्कार कु0 हर्षिता एवं कु0 सोनम प्रजापति को दिया गया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ निधि अवस्थी वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना, डॉ सपना अरोड़ा कार्यक्रम अधिकारी द्वितीय व डॉ मोनिका त्रिपाठी कार्यक्रम अधिकारी तृतीय द्वारा किया गया। अंत में प्रधानाचार्य डॉ अलका नायक ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस कार्यक्रम में डॉ रितु गुप्ता, डॉ अनुप्रीत कौर एवं श्री योतेश सिंह ने सहयोग किया।