समझौता होने के बावजूद पीआई पर होगी डिपार्मेंटल इंक्वायरी।
सूरत के डिंडोली में सेकंड पुलिस इंस्पेक्टर एचजे सोलंकी द्वारा वकील को लात मारने के मामले में मंगलवार को कोर्ट ने पीआई को 3 लाख रुपए का हर्जाना चुकाने का आदेश दिया। बुधवार को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 1.50 लाख रुपए डोनेशन देने का आदेश दिया।
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शिकायतकर्ता ने केस विड्रॉल किया इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की कि उन्हें अपनी 2 तनख्वाह देनी होगी, जो 75-75 हजार रुपए मिलाकर 1.50 लाख रुपए है। शिकायतकर्ता ने केस विड्रॉल कर लिया है। इसमें से 1 लाख रुपए अहमदाबाद कोर्ट की लाइब्रेरी तथा 50 हजार रुपए सूरत कोर्ट की लाइब्रेरी में डोनेट करना होगा। अफवाह थी कि जूनियर वकील हिरेन के खिलाफ सूरत जिला बार एसोसिएशन कोई ना कोई निर्णय ले सकता है।
इस पर प्रेसिडेंट उदय कुमार पटेल ने कहा कि हम उस पर कोई कार्रवाई क्यों करें, वह हमारा सदस्य ही नहीं है तो कैसे उस पर कार्रवाई हो सकती है। कोर्ट ने आदेश दिया कि 25 सितंबर से पहले पैसा जमा करना होगा और इसकी रसीद देने के बाद ही केस डिस्पोज होगा। जानकारी के मुताबिक सुबह 11:30 बजे के आसपास मुकदमा शुरू हुआ था करीब 15 मिनट तक चला और दोपहर 3 बजे फिर शुरू हुआ और 15 मिनट तक चला।
कोर्ट ने कहा- ऐसी घटना किसी के साथ भी हो सकती है, यह जुर्माना नहीं, डोनेशन है।
शिकायतकर्ता से पुलिस इंस्पेक्टर ने माफी मांग ली है… शिकायतकर्ता हिरेन नाई ने कहा कि पुलिसकर्मी ने उससे और उसके माता-पिता से भी माफी मांग ली है, इसलिए वह केस वापस लेना चाहता है। उनके वकील राजन जाधव ने कोर्ट से कहा कि वह मामला आगे नहीं लड़ेंगे क्योंकि समझौता हो गया है। कोर्ट ने वकील के समर्थन में कहा कि वह केस आगे लेकर जाएं, जितना पैसा भरने को कहा है उतना देना ही होगा, लेकिन सरकारी वकील ने कहा कि 3 लाख रुपए ज्यादा है वह इतना नहीं दे सकते।
हीरेन सुबह अहमदाबाद रवाना हुए है। फोन कर राजन से कहा कि मामला विड्रॉल करना चाहता है। 11 से 12 बजे के बीच में सूरत से अहमदाबाद के लिए निकला था। वकील से कहा कि शाम तक अहमदाबाद पहुंच जाएगा। वकील ने कहा ट्रैफिक है, नहीं पहुंच पाएगा। कोर्ट से दरखास्त कर वीडियो कांफ्रेंस से पक्ष रखा। – शिकायतकर्ता के पिता
पीआई पर डिपार्मेंटल इंक्वायरी भी होगी। सोशल मीडिया पर खबरें फैली हैं। उसे पैसे भी जमा करने होंगे। कोर्ट ने कहा कि ध्यान रखना होगा कि ऐसी घटना किसी के साथ भी हो सकती है। एक अधिकारी को अगर ऐसा करने पर सबक मिलेगा तो आगे कई घटनाएं रुक सकती हैं और यह जुर्माना नहीं, डोनेशन है। – राजन जाधव, सरकारी वकील