दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने बयान से सियासी हलचल मचा दी है। उन्होंने घोषणा की है कि वह दो दिन बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने जा रहे हैं। यह बयान तब आया जब उन्होंने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। केजरीवाल का कहना है कि उन्होंने देश के संविधान और गणतंत्र को बचाने के लिए अभी तक इस्तीफा नहीं दिया था, लेकिन अब समय आ गया है कि वह जनता के फैसले का इंतजार करें।
केजरीवाल का इस्तीफे का ऐलान
सीएम केजरीवाल ने कहा, “मैं 2020 में भी आया था, तब भी कहा था कि अगर मैंने काम नहीं किया, तो मुझे वोट मत देना। आज मैं फिर कह रहा हूं कि अगर आप मुझे ईमानदार मानते हैं, तो मुझे वोट दें, अगर आपको लगता है कि मैं बेईमान हूं, तो मुझे वोट मत दें।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं दो दिन बाद सीएम पद से इस्तीफा दे दूंगा और विधायक दल की बैठक में अगले मुख्यमंत्री का नाम तय किया जाएगा। तब तक मैं सीएम पद पर नहीं बैठूंगा, जब तक जनता अपना फैसला नहीं सुना देती।”
बीजेपी का पलटवार: ‘पीआर स्टंट’
केजरीवाल के इस बयान के तुरंत बाद, बीजेपी ने इसे पीआर स्टंट करार दिया। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा, “अरविंद केजरीवाल का यह इस्तीफा देने का ऐलान महज एक राजनीतिक चाल है। वह इसे सिर्फ जनता की सहानुभूति बटोरने के लिए कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि यह केजरीवाल का एक नया पीआर स्टंट है, ताकि वह जनता का ध्यान अपनी ओर खींच सकें।
आबकारी नीति मामला और जेल से वापसी
दिल्ली की आबकारी नीति मामले में जेल से बाहर आने के बाद, यह अरविंद केजरीवाल का पहला बड़ा बयान था। पार्टी के भीतर और बाहर उनकी स्थिति पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में उनके इस्तीफे का ऐलान राजनीति के गलियारों में चर्चा का बड़ा विषय बन गया है।
विधायक दल की बैठक में नया सीएम तय होगा
अरविंद केजरीवाल ने स्पष्ट किया कि अगले दो दिन में विधायक दल की बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें अगले मुख्यमंत्री का नाम तय किया जाएगा। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि केजरीवाल वास्तव में अपने पद से इस्तीफा देते हैं या यह महज एक राजनीतिक दांव है।
अरविंद केजरीवाल के इस ऐलान ने दिल्ली की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है। जहां एक ओर उनके समर्थक इसे उनके साहसिक कदम के रूप में देख रहे हैं, वहीं विपक्ष इसे जनता को गुमराह करने की चाल बता रहा है। अगले दो दिन में यह स्पष्ट हो जाएगा कि केजरीवाल सच में इस्तीफा देंगे या यह एक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है।