राजकुमार मिश्रा
खीरों(रायबरेली)। स्वतन्त्रता आंदोलन की यादे ग्राम बकुलिहा सेमरी मे आज भी जीवित है जहां 22 लोग स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी रहे और इन वीर सपूतो ने अंग्रेजी फौज से डटकर लोहा लिया और भागने पर मजबूर कर दिया था। इनमे मुंशी सत्यनारायन श्रीवास्तव उत्तर प्रदेश के प्रथम नमक सत्याग्रही रहे।
लालता प्रसाद दीक्षित,अश्वनी कुमार शुक्ल,मोतीलाल स्वर्णकार,देवी शंकर त्रिवेदी,काली शंकर तिवारी,रघुवीर लोधी,गूडू गड़रिया,नर्मदा शंकर शुक्ल सहित 22 लोग स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी रहे। अंग्रेज़ कलेक्टर के आदेश पर सिपाही लगान वसूली करने गाँव आए थे जिसपर गाँव के लोगो ने लगान देने से मना कर दिया था।
यह बात जब अंग्रेज़ कलेक्टर डोनालशन को मालूम हुयी तो वह झल्ला उठा और पूरी फौज लेकर बकुलिहा गाँव पहुँचकर लोगो को लगान देने के लिए विवश कर दिया। आक्रोशित गाँव के लोगो ने कुर्ता फाड़ डाला और कहा गोली भले ही मार दो लेकिन लगान के नाम पर फूटी कौड़ी नहीं देगे। इस बात पर अंग्रेज़ कलेक्टर ने लोगो के घरो का सारा सामान तितर-बितर करा दिया और जानवरो को कांजी हाउस मे बंद करा दिया।
इस जुल्म की सूचना जरिये तार जवाहर लाल नेहरू को दी गयी। नेहरू जी ने नुकसान की भरपाई देने के लिए गाँव के लोगो से कहा किन्तु गाँव के लोगो ने भरपाई लेने से इंकार कर दिया कहा कि देश के लिए हम लोग सब कुछ न्योछावर कर देगे। अंग्रेज़ो से लड़ने के लिए गाँव से दूर स्थित एक बाग मे कामामाई मंदिर पर योजना बनती थी।
रघुवीर लोधी विगुल बजाते थे तब सब लोग वही पर एकत्र होते थे। मुंशी सत्यनारायन के पत्राचार व रघुवीर की बिगुल जब इन्दिरा गांधी सेमरी आई थी उन्हे सौप दिये गए थे जोकि दिल्ली के संग्रहालय मे आज भी मौजूद है। सन 1957 मे राणा बेनी माधव सिंह के साथ सेमरा गौड़ नामक स्थान पर लोन नदी के किनारे अंग्रेज़ो से भीषण युद्ध हुआ था।
सेमरी रियासत के तालुकेदार लाल सुरेन्द्र बहादुर सिंह ने किसी भी कीमत पर अंग्रेज़ो का साथ नहीं दिया बल्कि बकुलिहा गाँव के लोगो के साथ मिलकर अंग्रेज़ो से लोहा लिया और उन्हे भागने के लिए मजबूर कर दिया। 22 राजाओ का गढ़ होने के कारण इसे बैसवारा कहा जाता हैं। युद्ध की पंक्तिया आज भी लोग होली के समय फाग के रूप मे गाते है |
पहिल लड़ाई भै बक्सर माँ, दूसरी सेमरी के मैदाना
तीसरी लड़ाई भै पुरवा माँ,तबै देखि लाट घबड़ाना
वीर सपूत स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियो की यादगार मे सरकार व सांसद विधायक ने भले ही न कुछ किया हो किन्तु ग्राम प्रधान सुरेश त्रिवेदी द्वारा स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी द्वार बनवाकर उनके नाम शिलापट पर यादगार के लिए अंकित करा दिये गए।