दुनिया में भारत का बढ़ता सम्मान उसके विश्वगुरू बनने का प्रमाण है : डॉ राजेश्वर सिंह

  • विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा भारत, 2023 में हुई 64 प्रतिशत की वृद्धि : डॉ राजेश्वर सिंह
  • डॉ राजेश्वर सिंह ने आंकड़ों के माध्यम से बताया भारत को विश्व की नई आर्थिक ताकत, कहा – प्रवासी भारतीय दुनिया में बढ़ा रहे देश की साख
  • अंतरराष्ट्रीय शिक्षा और टूरिज्म के क्षेत्र में बढ़ रही भारतीयों की भागीदारी – डॉ राजेश्वर सिंह

शकील अहमद

सरोजनीनगर, लखनऊ । विदेशों में बढ़ते भारत के प्रभाव के बारे में बताते हुए सरोजनीनगर के विधायक डॉ राजेश्वर सिंह ने कहा कि वैश्वीकरण के केन्द्र में भारत के प्रति बढ़ता सम्मान देश के विश्वगुरू बनने का प्रतीक है। उन्होने बाकायदा आंकड़ों के साथ बताते हुए आगे कहा कि, भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने में भारतीय प्रवासियों की भूमिका सबसे ज्यादा है। 18 मिलियन की ताकत और गुगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों के प्रभाव के साथ जिस देश में भारतीय प्रवासी रहते हैं उसके साथ-साथ भारत के प्रति उनके समर्पण के कारण उनका सम्मान किया जाता है।

भारत के बढ़ते पर्यटन उद्योग का उल्लेख करते हुए डॉ राजेश्वर सिंह ने बताया कि 2023 में विदेशी पर्यटकों के आगमन में 64% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई और 92 लाख से अधिक पर्यटक भारत आए, जिसके पीछे प्रवासी भारतीय एक बड़े कारण है। आगे उन्होने बताया कि 3.21 करोड़ से अधिक भारतीय विदेशों में रह रहे हैं इसके अलावा 2 करोड़ से अधिक लोग विदेशों में छुट्टियां मनाने का विकल्प चुन रहे हैं, डॉ सिंह ने कहा कि हमारा प्रभाव दुनिया भर में गूंज रहा है।

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डॉ राजेश्वर सिंह ने विदेशों में पढ़ाई के लिए जाने वाले भारतीय छात्रों की बढ़ती संख्या के आंकड़ों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 2019 में जहां विदेशों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 10 लाख थी, वहीं 2023 में बढकर 13 लाख हो गई है, जो 2025 में बढ़कर छात्रों की संख्या 15 से 20 लाख के बीच होने की संभावना है। 2025 तक विदेशों में भारतीय छात्रों द्वारा अनुमानित व्यय राशि 70 बिलियन डॉलर यानी 5.8 लाख करोड़ है।

विधायक डॉ राजेश्वर सिंह ने आगे बताया कि अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ऐसे देश हैं जहां सबसे ज्यादा करीब 8.5 लाख भारतीय छात्रों ने दाखिला लिया। 2022 में अमेरिका और ब्रिटेन ने भारतीय छात्रों के लिए रिकॉर्ड संख्या में वीजा जारी किया। ब्रिटेन में पढ़ रहे 1.32 लाख छात्रों ने 5.9 बिलियन डॉलर खर्च किए। जिसमें 3.4 बिलियन डॉलर ट्यूशन फीस के रूप में, 1.3 बिलियन डॉलर हाउसिंग के लिए और 1.2 बिलियन डॉलर जीवन यापन के दूसरे मद में खर्च हुए।

डॉ राजेश्वर सिंह ने उन कारणों के बारे में भी बताया जिसके चलते भारतीय छात्र पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं। जैसे पढ़ाई और करियर के लिए बेहतर संभावनाएं। आर्थिक मदद और छात्रवृत्ति की उपलब्धता। नई टेक्नोलॉजी, रिसर्च के अवसर और शीर्ष स्तर के फैकल्टी की सुलभता। डॉ सिंह ने बताया कि लगातार यात्राओं से नए अवसरों का विस्तार हुआ है और मध्यम वर्ग का आय बढ़ी जिससे वो खर्च करने लायक हुए हैं।

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