सारा अली खान ने निभाया हर लड़की का सच, दिखी रेंज और रियल इमोशन


फिल्म: मैट्रो इन दिनो
डायरेक्टर: अनुराग बसु
कास्ट: सारा अली खान, आदित्य रॉय कपूर, पंकज त्रिपाठी, कोंकणा सेन, नीना गुप्ता, अनुपम खेर, अली फजल और फातिमा सना शेख
ड्यूरेशन: 2 घंटे 42 मिनट
रेटिंग: 4/5

Metro In Dino Review: अनुराग बसु की फिल्म मेट्रो… इन दिनों एक बार फिर रिश्तों की गहराइयों, अधूरी चाहतों और शहर की भीड़ में खोए इंसानों की भावनाओं को छूने वाली कहानी लेकर आई है. ये फिल्म उन सवालों के जवाब तलाशती है जो अक्सर दिल के किसी कोने में दबे रह जाते हैं, जैसे क्या पुराने रिश्ते फिर से खिल सकते हैं? क्या उलझे लोग सुकून पा सकते हैं? क्या अकेलापन प्यार को खत्म कर देता है या फिर नजदीकियों की नई शुरुआत बनता है? तो चलिए इन सवालों का जवाब देने वाली इस फिल्म का रिव्यू आपको देते हैं.

कहानी: रिश्तों की उलझन और नई शुरुआत

अनुराग बसु की ‘मेट्रो… इन दिनों’ एक बार फिर हमें शहरी रिश्तों की भीड़भाड़ में ले जाती है, जहां हर इंसान अकेला है, अधूरा है और प्यार की तलाश में है. फिल्म की कहानी पांच अलग-अलग रिश्तों के इर्द-गिर्द घूमती है, कभी एक अधूरी शादी, तो कभी लंबे रिश्ते में आई बोरियत, और कहीं एक पुरानी दोस्ती जो दोबारा जिंदगी में रंग भर देती है.

डायरेक्शन: अनुराग बसु का सिग्नेचर टच

अनुराग बसु की कहानी कहने की कला हमेशा से अलग रही है, वो हर रिश्ते को इतना रियल बना देते हैं कि लगता है जैसे यह हमारे ही आसपास की बातें हैं. फिल्म का हर सीन, लोकेशन और बैकग्राउंड म्यूज़िक पूरी तरह कहानी से जुड़ा है. मेट्रो सिटीज़ के शोरगुल के बीच भी एक सुकून और गहराई मिलती है. वहीं, प्रीतम का म्यूजिक कहानी में जान डालता है, और गानों के जरिए कास्ट के इमोशन को सामने लाता है.

सारा अली खान की चुमकी: सबसे रियल परफॉर्मेंस

सारा अली खान इस फिल्म की जान हैं. उन्होंने चुमकी के किरदार में जो सिंपलिसिटी, कन्फ्यूजन और मासूमियत दिखाई है, वो हर उस लड़की से जुड़ती है, जो आज की दुनिया में खुद को ढूंढ़ रही है. सारा की परफॉर्मेंस इस फिल्म में सबसे नैचुरल है, ना कोई ज़बरदस्ती का इमोशन, ना ओवरएक्टिंग. उनकी आंखें बहुत कुछ कह जाती हैं, खासकर उन सीन में जहां उनके पास बोलने को ज़्यादा नहीं होता. उनका ‘ड्रंक सीन’ भी बिना किसी गलती के बेहद रियल और रिलेटेबल लगता है.

एक्टिंग डिपार्टमेंट: दमदार परफॉर्मेंस का मेला

जहां सारा अली खान अपने किरदार में सबसे ज़्यादा इंप्रेस करती हैं, वहीं बाकी एक्टर्स भी किसी से कम नहीं. पंकज त्रिपाठी ने एक अधेड़ पति के रूप में गज़ब की परफॉर्मेंस दी है, कभी मुस्कुराहट लाते हैं, कभी रुलाते हैं. वहीं, कोंकणा सेन शर्मा हर बार की तरह दमदार हैं. फीके रिश्ते में फंसी उनकी पत्नी की भूमिका इमोशंस से भरी है. नीना गुप्ता और अनुपम खेर की पुरानी जोड़ी के पल दिल को छूते हैं. आदित्य रॉय कपूर अपने चार्म में हैं और अली फज़ल और फातिमा सना शेख का ट्रैक भी दिलचस्प है.

स्क्रीनप्ले और डायलॉग: नर्मी और गहराई का मेल

फिल्म का स्क्रीनप्ले बेहद इमोशनल और सोचने पर मजबूर करने वाला है. रिश्तों की पेचीदगियों को बिना ज़्यादा मेलोड्रामा के दिखाना आसान नहीं होता, लेकिन अनुराग बसु और उनकी टीम ने यह बखूबी कर दिखाया है. खासकर कुछ डायलॉग सीधे दिल को छूते हैं.

टेक्निकल पहलू: कैमरा, एडिटिंग और सिनेमैटोग्राफी

फिल्म की सिनेमैटोग्राफी शानदार है. हर शहर मुंबई, दिल्ली, पुणे, बैंगलोर का अपना मूड फिल्म में दिखता है. कैमरा मूवमेंट और लाइटिंग, किरदारों के इमोशन को और उभारते हैं. एडिटिंग भी कसी हुई है, हालांकि सेकंड हाफ थोड़ा खिंचता है लेकिन कभी बोर नहीं करता. हर कहानी के बीच ट्रांज़िशन स्मूद है और दर्शकों को जोड़े रखता है.

फाइनल वर्डिक्ट

‘मेट्रो… इन दिनों’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, एक एहसास है. यह रिश्तों की गर्माहट, उलझन, खुशी और अकेलेपन का अनुभव है. फिल्म के हर किरदार की अपनी एक लड़ाई है, खासकर सारा की चुमकी, जो आज की पीढ़ी की रियल रिफ्लेक्शन लगती है. सारा की ये परफॉर्मेंस अब तक की सबसे सच्ची और दिल छूने वाली है. अगर आप रिलेशनशिप्स की पेचीदगियों को समझते हैं और एक इमोशनल जर्नी पर निकलना चाहते हैं, तो इस फिल्म को जरूर देखें.

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