हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए उचाना क्षेत्र में दो चौधरियों की साख दांव पर लगी है, बीजेपी के देवेंद्र अत्री के पास एक अच्छा मौका है

उचाना कलां विधानसभा क्षेत्र बांगर का गढ़ माना जाता है। चौधरियों के बीच ही यहां हर बार मुकाबला होता रहा है। इस बार भी चौटाला परिवार की चौथी पीढ़ी के पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और कांग्रेस की तरफ से पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह बीच मुकाबला है।

हरियाणा का उचाना कलां विधानसभा क्षेत्र बांगर का गढ़ माना जाता है। चौधरियों के बीच ही यहां हर बार मुकाबला होता रहा है। इस बार भी चौटाला परिवार की चौथी पीढ़ी के पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और कांग्रेस की तरफ से पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह बीच मुकाबला है। भाजपा ने इन दोनों चौधरियों के बीच अपने युवा उम्मीदवार देवेंद्र अत्री को मैदान में उतारकर मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है। इसलिए राज्य की उचाना कलां सीट प्रदेश की हॉट सीट बन गई है। वजह, इस सीट पर दुष्यंत चौटाला और बीरेंद्र सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

दुष्यंत चौटाला या बृजेंद्र दोनों में से जो कोई भी हारा उसके परिवार के राजनीतिक भविष्य पर संकट गहरा सकता है। तो वहीं दूसरी तरफ, भाजपा के युवा उम्मीदवार देवेंद्र अत्री के लिए यह स्वर्णिम मौका है। देवेंद्र अत्री अगर इन दोनों दिग्गजों को हराकर जीत हासिल करने में कामयाब रहे, तो वह हरियाणा की राजनीति में एक बड़े चेहरे के रूप में स्थापित हो जाएंगे। इस सीट पर पिछले 15 साल से चौटाला परिवार और बीरेंद्र सिंह के परिवार के बीच ही मुकाबला होता रहा है। दो बार चौटाला परिवार और एक बार बीरेंद्र सिंह का परिवार यहां से चुनाव जीता है।

हरियाणा के दिग्गज चौटाला परिवार से पहले बीरेंद्र सिंह यहां से पांच बार विधायक रहे हैं। 2009 में बीरेंद्र सिंह ने हार के बाद चुनाव नहीं लड़ा और अपनी पत्नी प्रेमलता को मैदान में उतारा। भाजपा के टिकट पर प्रेमलता 2014 में यहां से विधायक बन चुकी हैं। जजपा के दुष्यंत चौटाला 2019 में इस सीट से विधायक चुने गए थे। उचाना कलां सीट जाट बहुल क्षेत्र है। यहां पर अकेले जाट मतदाताओं की संख्या करीब एक लाख 7 हजार है और ब्राह्मण समुदाय से भी करीब 27 हजार वोटर हैं। इस सीट पर एससी समुदाय के लगभग 26 हजार मतदाता हैं, जबकि ओबीसी के करीब 20 हजार वोटर हैं। उचाना कलां सीट पर दो चौधरियों की लड़ाई में जाट वोट दो हिस्सों में बंट सकता है। ऐसे में ओबीसी और एससी वोटर निर्णायक की भूमिका अदा कर सकते हैं।

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