विवादास्पद संविधान संशोधन विधेयक को पाकिस्तान सरकार ने संसद में पेश नहीं किया।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान की गठबंधन सरकार ने सोमवार को एक बार फिर संसद में विवादास्पद संविधान संशोधन विधेयक को पेश नहीं किया। ऐसा स्पष्ट तौर पर इसे पारित कराने के लिए आवश्यक संख्या बल की कमी के कारण हुआ। संशोधनों का विवरण अभी भी रहस्य बना हुआ है, क्योंकि सरकार ने आधिकारिक तौर पर इसे मीडिया के साथ साझा नहीं किया है या सार्वजनिक रूप से इस पर चर्चा नहीं की है। अब तक जो रिपोर्ट मिली है, उससे पता चलता है कि सरकार न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने और उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश का कार्यकाल तय करने की योजना बना रही है।

जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा विधेयक

सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के सीनेटर इरफान सिद्दीकी ने मीडिया को बताया कि संशोधन विधेयक सोमवार को संसद में पेश नहीं किया जाएगा। सिद्दीकी ने जियो न्यूज से कहा कि सोमवार को दोनों सदनों का सत्र ‘‘स्थगित’’ रहेगा और ‘‘अगली बार यह तब बुलाया जाएगा, जब हम संवैधानिक संशोधन पेश करने के लिए सभी पहलुओं से तैयार होंगे।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या इस मामले में महीनों तक देरी हो सकती है, पीएमएल-एन सीनेटर ने कहा कि विधेयक एक या दो सप्ताह के भीतर पेश किए जाने की संभावना है। सीनेटर  ने कहा, ‘‘हमारी इच्छा थी कि यह विधेयक दो दिन के भीतर पारित हो जाए।’’

Advertisement

इस वजह से सरकार ने पीछे हटाए कदम

जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान का समर्थन पाने के प्रयास विफल होने के बाद सरकार को संसद में संशोधन विधेयक पेश करने के कदम को टालने पर मजबूर होना पड़ा। संशोधन पारित करने के लिए सरकार को नेशनल असेंबली में 224 और सीनेट में 64 वोट की आवश्यकता है। नेशनल असेंबली में गठबंधन का संख्याबल 213 और सीनेट में 52 है। नेशनल असेंबली के आठ सदस्यों और पांच सीनेटरों के साथ जेयूआई-एफ प्रमुख भूमिका निभाने की स्थिति में है।

Keep Up to Date with the Most Important News

By pressing the Subscribe button, you confirm that you have read and are agreeing to our Privacy Policy and Terms of Use
Advertisement