झांसी / ओरछा भगवान रामराजा मंदिर के पीछे आचार्य केशव भवन प्रांगण में महाकवि केशव स्मृति समारोह – ओरछा महोत्सव पद्मश्री डा अवध किशोर एड़ियां जी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ ।
मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी, भोपाल के आयोजन महाकवि केशव स्मृति समारोह – ओरछा महोत्सव में केशव भवन प्रांगण, डा पुनीत बिसारिया जी ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने व्याख्यान में महाकवि आचार्य केशवदास को ‘कठिन काव्य का प्रेत’ घोषित करने वाले आचार्य रामचंद्र शुक्ल की मान्यता और स्थापना को प्रमाणों सहित खारिज करके ‘कठिन काव्य के प्रेत नहीं हैं महाकवि आचार्य केशवदास’ की स्थापना दी। साथ ही महाकवि केशव के जीवन के ऐतिहासिक-साहित्यिक पहलुओं को साझा करते हुए उनकी स्वाभिमानी शिष्या राय प्रवीण और नवरंग राय पर भी चर्चा की।
वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए झाँसी के इतिहासकार एवं पर्यटन अधिकारी डॉ० चित्रगुप्त श्रीवास्तव जी ने महाकवि केशवदास के समय के इतिहास पर प्रकाश डाला तो वहीं अध्यक्षीय उद्बोधन में बुंदेली कवि पद्मश्री डॉ० अवध किशोर जड़िया जी ने महाकवि केशव के युग के काव्यशास्त्र पर प्रकाश डाला। समारोह में मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ० विकास दबे, कार्यक्रम संयोजक कवि सुमित ओरछा, डा राजेश तिवारी ‘मक्खन’ झांसी श्री उमाशंकर खरें ‘उमेश’ शरद मिश्र आदि साहित्यकारों का सारगर्भित उद्वोधन हुआ । इस अवसर पर अनेक साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी, राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी और सुधी श्रोतागण उपस्थित रहे।