एक तीर – तीन निशाने
जनता की खुशी का पूरा ध्यान रखा है भाजपा ने: अविरल अमिताभ जैन
मध्यप्रदेश की राजनीति में श्री मोहन यादव जी का मुख्यमंत्री बनना सभी के लिए आश्चर्य की बात है फिर चाहे वो विपक्ष हो या भाजपा का सत्ता पक्ष। वैसे भी भाजपा तो कठोर और नए परिणामों को लाने बाली पार्टी रही है और यही बो कारण है जिसकी वजह से एक लंबे समय के लिए भाजपा को सत्ता से दूर नहीं किया जा सकता है। जहां दूसरे राजनैतिक दल परिवार या सामंत बाद में फस जाते है बही भाजपा बड़ी ही आसानी से इन सभी मुस्किलो को दर किनार कर सूर्य की तरह दमकने लगती है। एक आम व्यक्ति को कैसे खास बनाना हैं ये भाजपा से अच्छा कोई नही जानता है। कल तक जिस व्यक्ति के बारे में न राजनैतिक गुरु और न ही मीडिया अनुमान लगा पा रही थी बही आज एसे व्यक्ति को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया गया है। मोहन यादव का नाम सामने आते ही सोशल मीडिया पर एक पंक्ति बड़ी चर्चित हुई की “मामा का वध, मोहन ने किया, ये है मध्यप्रदेश की कृष्णलीला”, ये एक पंक्ति मध्यप्रदेश की राजनीति में बहुत कुछ स्पष्ट करती है की जनता भाजपा के इस निर्णय से कितनी खुश है। मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाए जाने से वर्तमान की राजनीति के चाणक्य श्री नरेंद्र मोदी और श्री अमित शाह ने एक तीर से तीन निशाने लगाए है। पहला निशाना भाजपा कार्यकर्ता को ध्यान में रखते हुए लगा है। जहां लंबे समय से चली आ रही संगठन में एक रुपता को बदला है इससे भाजपा के हर कार्यकर्ता में एक नया जोश आया है। अब हर भाजपा कार्यकर्ता को जो ये सोचने लगा था की भाजपा कॉरपोरेट पार्टी हो गई है अब उसको उम्मीद है की हर एक छोटा कार्यकर्ता का भविष्य कही है तो भाजपा में ही है क्यों की जब सभी मंझे हुए नेताओ को छोड़कर नए मुख्यमंत्री के रूप में मोहन यादव जी का नाम आता है तो सब कार्यकर्ता को आस आती है की भाजपा में आज भी लोकतंत्र है और यहां सबको मौका मिलता है। मोहन यादव का परिचय न केवल भाजपा बल्कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता को भी ऊर्जा देता है की कभी इन संगठन में कार्य करने बाला कल का मुख्यमंत्री बन सकता है। भाजपा ने दूसरा निशाना लंबे समय से सत्ता में रहने के कारण सत्ता विरोधी लहर को शांत करते हुए लगाया है और ये आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुत ही ज्यादा सकारात्मक सिद्ध होगा। इस कदम से प्रदेश की बो जनता भी भाजपा के साथ आ गई है जिसको भाजपा से खुशी है लेकिन शिवराज का चहरा पसंद नही था और इसी के साथ साथ अब जनता को एक नई उम्मीद भी मिली है की प्रदेश में प्रशासन का जो पहिया चल रहा था उसका अब गियर बदलेगा और भ्रष्टाचार और बनी बनाई व्यवस्था टूटेगी। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में महज 60 वर्ष से कम उम्र के मुख्यमंत्री देकर भाजपा ने तीसरा निशाना युवाओं के विचार को आगे रखते हुए किया है। कम उम्र के मुख्यमंत्री ने ये तय किया है की भाजपा का आला नेतृत्व अपने रहते हुए नई पीढ़ी तैयार करना चाहती है ताकि भाजपा के साथ बो गलती न हो जो कभी कांग्रेस पार्टी के साथ हुई है। इतिहास से सीख लेते हुए भाजपा अभी से नई पीढ़ी तैयार कर रही है उदाहरण के लिए भाजपा शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्री है। अंततः भाजपा ने मध्यप्रदेश को बो सब दिया है जो विकास की गाड़ी को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। तीन राज्यों के चुनाव ने भाजपा को अगले दस साल के ईंधन के रूप में जोशीले कार्यकर्ता, नवीन नेतृत्व और नई सोच उपलब्ध करवा दी है।