मानवाधिकार मीडिया ब्यूरो रिपोर्ट
जिला प्रशासन के कदम की सभी जगह हो रही प्रशंसा
जिला प्रशासन द्वारा निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली और पुस्तक विक्रेताओं एवं प्रकाशकों के साथ उनके गठजोड़ के खिलाफ कार्यवाही की सभी जगह प्रशंसा हो रही है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा दिये गए निर्देशों के पालन में कलेक्टर दीपक सक्सेना एवं पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह के नेतृत्व में की गयी इस कार्यवाही ने जिला प्रशासन के प्रति अभिभावकों के विश्वास को और अधिक सुद्रढ़ तो किया ही है। साथ ही भविष्य में बच्चों के लिए आवश्यक कल्याणकारी बदलावों की आशा का भी सूत्रपात किया है। जबलपुर की इस कार्यवाही की गूँज न केवल शहर में बल्कि प्रदेश और देश भर में सुनाई दे रही है।नवनिवेश कॉलोनी गंगानगर निवासी बलराम पांडे ने कलेक्टर श्री दीपक सक्सेना की अगुवाई में निजी विद्यालयों के विरुद्ध मनमानी फीस वसूली को लेकर जिला प्रशासन द्वारा की गई इस कार्यवाही की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि यह कार्यवाही शिक्षा के व्यवसायीकरण के विरुद्ध प्रशासन का एक प्रबल कदम है। सामाजिक कार्यकर्ता ईश्वर दीक्षित ने बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में घोटाले करने वालों के खिलाफ पहली बार इतनी बड़ी कार्यवाही देखने मिली है। यदि ऐसी कार्यवाहियां भविष्य में भी दोहराई जायेंगी तो निश्चित तौर पर शिक्षा जगत में बड़ा परिवर्तन समाज के सामने प्रस्तुत होगा। ईश्वर ने कलेक्टर श्री दीपक सक्सेना द्वारा अभिभावकों के हित में किए गए इस प्रयास की सराहना भी की। अभिभावक महेंद्र अग्रवाल ने कलेक्टर दीपक सक्सेना एवं पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह के नेतृत्व में की गई कार्यवाही की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली और पुस्तक विक्रेताओं एवं प्रकाशकों के साथ उनकी मिली भगत ने अभिभावकों को परेशान कर दिया था। श्री अग्रवाल ने कहा कि यदि श्री दीपक सक्सेना जैसे कलेक्टर प्रत्येक जिले में हो जाएं तो शिक्षा का व्यवसायी करण करने वाले लोगों पर निश्चित ही लगाम लगेगी। शहर के नागरिक मुकेश साहू ने भी जिला प्रशासन द्वारा जनहित में उठाये गए इस कदम की सराहना की। इसी प्रकार श्री ओमप्रकाश दुबे ने कहा कि निजी स्कूलों पर कार्यवाही की मांग बहुत पहले से उठ रही है, इस मांग के चलते ऐसी कार्यवाही सराहनीय है। निजी स्कूल बड़े-बड़े विज्ञापनों द्वारा लोगों को बच्चो के एडमिशन के लिए प्रोत्साहित करते हैं और फिर नए-नए नियम बनाते हैं। स्कूल प्रबंधन कमीशनबाजी के कारण अभिभावकों पर निश्चित दुकान से किताबें और ड्रेस लेने के लिए दबाव डालते हैं। साथ ही फीस में अलग-अलग चार्ज जोड़कर निजी स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को लूटते हैं। वहीं कोचिंग टीचर सुबोध साहू ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि जिला प्रशासन द्वारा मनमानी फीस वसूली, पुस्तक विक्रेताओं एवं प्रकाशकों के गठजोड़ के विरुद्ध की गई कार्यवाही वास्तव में एक मिसाल है। श्री साहू ने बताया कि निजी स्कूलों की तानाशाही चल रही थी। किताबों, स्कूल यूनिफॉर्म आदि सामग्रियों में वह बहुत कमीशन कमा रहे थे। इसलिए उन पर कड़ी कार्रवाई होना जरूरी था।