शमसुलहक़ ख़ान की रिपोर्ट
महिलाओं के मुद्दे पर आयोजित हुआ क्षमता निर्माण और संवेदीकरण कार्यक्रम!
बस्ती: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस सप्ताह के अंतर्गत चलाये जा रहे जागरूकता अभियान के तहत महिलाओं से संबंधित मुद्दों और मीडिया में महिलाओं के चित्रण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए ‘मीडिया कर्मियों के लिए क्षमता निर्माण और संवेदीकरण कार्यक्रम’ विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन विश्व युवक केंद्र नई दिल्ली और युवा विकास समिति के तत्वाधान में प्रेस क्लब बस्ती में किया गया।
विधि विशेषज्ञ राम मूर्ति मिश्र ने मीडिया में महिलाओं के गुणात्मक प्रगति, रिपोर्टिंग के प्रति अधिक संवेदनशील दृष्टिकोण तथा इस क्षेत्र में पुरुषों एवं महिलाओं के समान प्रतिनिधित्व की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने रिपोर्टिंग करते समय महिला पत्रकारों के सामने आने वाली चुनौतियों और मीडिया घरानों में प्रबंधकीय पदों को संभालने के लिए और अधिक महिलाओं की आवश्यकता पर जोर दिया।
डॉ. नवीन सिंह ने कहा कि मीडिया में महिलाओं की सराहना करते हुए कहा कि समाज की नकारात्मक मानसिकता के बावजूद देश की महिलाएं न केवल पत्रकारिता में बल्कि हर क्षेत्र में ऊंचाइयों पर पहुंच गई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि समाज की मानसिकता बदलने की जरूरत है और मीडिया इस संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता को मीडिया प्रमुखता से आगे बढ़ाएगा तो निश्चित रूप से समाज में परिवर्तन होगा और लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि समाज को दिशा देने में मीडिया सशक्त है। लैंगिक समानता को स्थापित करने में मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकता है।
कार्यशाला को तीन तकनीकी सत्रों में विभाजित किया गया था; ‘मीडिया संचालन और सामग्री में मीडिया के लिए लिंग-संवेदनशील संकेतक’, ‘महिला मीडिया पेशेवरों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियां’ और ‘महिलाओं के सशक्तिकरण में मीडिया की भूमिका’। कार्यशाला का उद्देश्य मीडिया हितधारकों को महिलाओं से संबंधित समस्याओं के समाधान तथा महिला सशक्तिकरण एवं नेतृत्व की कहानियों के लिए और अधिक मंच समर्पित करने के लिए प्रोत्साहित करना और महिलाओं के अधिकारों के बारे में जनता को सूचित करना और इस तरह के अधिकारों का उल्लंघन होने की स्थिति में उनके उपलब्ध साधनों के बारे में जानकारी देना है।
बृहस्पति कुमार पाण्डेय नें कहा की समाज में लैंगिक असमानता को दूर करने का प्रयास करना जरुरी है। मीडिया महिला अधिकारों, महिला समानता, महिलाओं के मुद्दें समाज के सामने आसानी से रख सकती है। उन्होंने बताया कि परंपरागत और न्यू मीडिया दोनों माध्यमों में ही महिलाओं से जुड़े पक्षों को उजागर करना जरूरी है। इस विषय पर पत्रकारों का समाज से निरंतर संपर्क रहता है, ऐसे में बच्चों, अभिभावकों एवं शिक्षकों को “लैंगिक संवेदनशील” बनाने में उनकी भूमिका बढ़ाई जा सकती है। ट्रेनिंग कार्यशाला में महिलाओं से जुड़े कानूनों सहित घरेलू हिंसा अधिनियम, यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण अधिनियम पर पीपीटी के जरिये जानकारियां दी गई।
इस मौके पर अरुण कुमार, रजनीश त्रिपाठी,देवेन्द्र पाण्डेय,राकेश चन्द्र बिन्नू, राकेश गिरि, श्री प्रकाश श्रीवास्तव, अरुण मिश्र, राजेश पाण्डेय, सुनील मिश्र, राहुल सिंह, संदीप यादव, लालू प्रसाद,अखिलेश चन्द्र श्रीवास्तव, सतेन्द्र नाथ श्रीवास्तव, शमशुल हक खान, विनोद, संतोष श्रीवास्तव, कलीम फारुखी, विन्देश्वरी लाल श्रीवास्तव, विशाल पाण्डेय, रत्नेश्वर मिश्र,अभिषेक गौतम, मेराज आलम, राहुल पटेल,परवेज आलम, तबरेज आलम, अनूप बरनवाल मो, आलम, विनोद कुमार, शकील खान, कर्मचन्द्र यादव, विजय मिश्र, अफजाल कुरैशी, विनोद सोनकर, दिलीप कुमार, ब्यास मणि, सहित अनेकों लोग मौजूद रहे।